देहरादून डेस्क/ उत्तराखंड में 15 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले विभिन्न सर्वेक्षणों में पीछे चल रही कांग्रेस को अब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर नामक ‘‘च्यवनप्राश’’ का सहारा रह गया है। संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में सवाल करने पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रशांत किशोर को ‘च्यवनप्राश’ बताते हुए कहा, ‘‘बढ़ती उम्र में ऐसे टॉनिकों का सहारा लेना पड़ता है।’’ वहीं चुनावी रणनीति तय करने के लिये उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से नियुक्त चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच पहले ही एक बैठक हो चुकी है।
उपाध्याय ने संपर्क करने पर बताया कि किशोर के साथ समन्वय के लिये उन्होंने प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट के नेतृत्व में प्रदेश पार्टी सचिव विनोद चौहान को जिम्मेदारी सौंपी है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस विधानसभा चुनावों के लिये पूरी तरह तैयार है और दोबारा सत्ता में आने के लिये पार्टी पूरी तरह जुटी हुई है। विभिन्न समाचार पत्रों और समाचार चैनलों द्वारा कराये गये चुनावी सर्वेंक्षणों में कांग्रेस को पिछड़ते तथा मुख्य विपक्षी भाजपा को सरकार बनाने की स्थिति में दिखाये जाने से पार्टी नेता चिंतित हैं। प्रशांत किशोर की सेवायें लेने को इस स्थिति को बदलने के प्रयास की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
उपाध्याय ने भी कहा कि पीके के साथ जुड़ने से पार्टी की चुनावी रणनीति को और धार मिलेगी। हालांकि उन्होंने साफ किया कि प्रशांत किशोर द्वारा इस संबंध में दी जा रही सेवाएं पूरी तरह से स्वैच्छिक हैं। उत्तराखंड की मौजूदा कांग्रेस सरकार अंदरूनी कलह की शिकार है। पिछले साल पार्टी के दो फाड़ हो जाने से सरकार सुप्रीम कोर्ट की मदद से गिरने से बची। राज्य के मौजूदा सीएम हरीश रावत के पैसे लेकर बागी विधायकों को खरीदने के कथित वीडियो के सामने आने के बाद आगामी चुनाव में उनकी अग्निपरीक्षा होगी।