लखनऊ डेस्क/ गैंगरेप के आरोपित पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को मंगलवार को मिली जमानत में पुलिसवालों का ‘खेल’ सामने आया है। डीआईजी-रेंज प्रवीण कुमार ने सख्त रुख अपनाते हुए गायत्री के जमानतदारों के सत्यापन में अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मदद करने वाले इंस्पेक्टर-मुंशीगंज एके सिंह को निलंबित कर दिया है। विवेचक सीओ-हजरतगंज अवनीश मिश्रा भी जांच के घेरे में हैं। एसएसपी-लखनऊ मंजिल सैनी से पूरे मामले में 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है। उधर, गायत्री को जेल से बाहर आने से रोकने के लिए आला पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को आनन-फानन में तीन अन्य मामलों में उनकी कोर्ट में पेशी कराई। गायत्री को दो मामलों में नौ और दस मई तक के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। तीसरे मामले में 28 अप्रैल की तारीख लगी है।
कोर्ट ने गायत्री मामले में विवेचक से केस डायरी तलब की थी। अमूमन कोर्ट में केस डायरी पेश करने से पहले विवेचक को पर्यवेक्षण अधिकारी से अनुमति लेनी होती है। सूत्रों के मुताबिक सीओ अवनीश मिश्र ने अपने पर्यवेक्षण अधिकारी एएसपी पूर्वी शिवराम यादव, एसएसपी मंजिल सैनी और डीआईजी-रेंज प्रवीण कुमार में से किसी को भी केस डायरी नहीं दिखाई। उन्होंने इसे सीधे कोर्ट में पेश कर दिया। गायत्री को बेल की जानकारी मिलते ही प्रवीण कुमार ने लखनऊ जिले के अफसरों और विवेचक की बैठक बुला ली। इसके बाद गायत्री को जेल से बाहर आने से रोकने के लिए पुलिस लखनऊ में दर्ज तीन अन्य मामलों में कोर्ट पहुंच गई।
गायत्री की बेल के खिलाफ पुलिस गुरुवार को हाई कोर्ट में अपील करेगी। जमानत प्रक्रिया में पुलिस की तरफ से विधिक प्रक्रिया का पूरी तरह पालन नहीं हुआ। बेल के खिलाफ पुलिस की तरफ से कोर्ट में कोई पत्र नहीं दाखिल किया गया। विवेचक ने वैज्ञानिक साक्ष्यों जैसे सीडीआर को भी केस डायरी में शामिल नहीं किया। मामले के विवेचक सीओ-हजरतगंज ने वरिष्ठ अफसरों को दिखाए बिना केस डायरी कोर्ट में पेश कर दी। साफ जाहिर है कि सीओ ने आरोपित को बचाने के लिए वरिष्ठ अफसरों को गुमराह किया। उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच के बाद उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।