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रायबरेली नरसंहार की गूंज पहुंची विधानसभा

रायबरेली नरसंहार की गूंज पहुंची विधानसभा

रायबरेली डेस्क/ रायबरेली में ब्राह्मण युवाओं की जघन्य हत्या पर उत्तर प्रदेश की सियासत गर्मा गई है| इसकी ​गूंज योगी सरकार के पहले बजट सत्र में विधानसभा में भी सुनाई देने लगी है| उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को रायबरेली नरसंहार को लेकर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने जमकर हंगामा किया| दोनों ही दलों ने इस जघन्य हत्याकांड को लेकर योगी सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए| साथ ही हत्याकांड में मारे गए युवकों को किराए का गुंडा कहने के बयान पर योगी सरकार के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे की मांग की| इस दौरान सपा सदस्य विधानसभा में धरने पर बैठ गए |

मामले में बसपा ने ऐलान किया है कि उसका एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र की अगुवाई में रायबरेली जाएगा| यहां वह पीड़ित परिवार से मिलेगा और उन्हें सांत्वना देने के साथ ही उचित न्यायिक सहयोग देने का आश्वासन देगा| वैसे अपने इस बयान को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य विपक्ष ही नहीं अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ चुके हैं| स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को कहा था कि मारे गए गुंडे सपा विधायक मनोज पांडेय के इशारे पर बुलाए गए थे क्योंकि प्रधान राजा यादव पूर्व में सपा कार्यकर्ता था| विधानसभा चुनाव में वह बीजेपी कार्यकर्ता हो गया |

मनोज पांडेय ने उसे सबक सिखाने के लिए गुंडों के बुलाया था| जो लोग मारे गए, वे किराए के गुंडे थे| उन पर अलग-अलग थानों में आपराधिक मामलों में केस दर्ज है| ग्रामीणों ने उन्हें पीट-पीटकर या जलाकर मार दिया| ये गुंडे प्रतपगढ़ और फतेहपुर से आए थे| मामले में प्रदेश के विधि मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि मारे गए युवकों को अपराधी बताकर जांच को प्रभावित करना गलत है| संरक्षण देने वालों को भी बख्शा नहीं जाएगा| ऐसा करने वालों पर भी भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई का प्रावधान है|

बृजेश पाठक ने कहा कि यह पूरी तरह साबित हो चुका है कि मारे गए युवक अपराधी नहीं थे| उन्हें बुलाया गया, फिर उनकी जघन्य व निर्मम हत्या कर दी गई| जो लोग उन्हें अपराधी बता रहे हैं, वे जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं| उधर सोमवार को भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री अभिजात मिश्र ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान की निंदा की है| उन्होंने कहा गुंडा कौन है, बदमाश कौन है, ये न्यायपालिका तय करती है| भारत का संविधान किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ नहीं लेने की इजाजत नहीं देता है|

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