नई दिल्ली डेस्क/ राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को सुझाव दिया है कि वह कानून के तहत वैवाहिक बलात्कार को मान्यता दे और लैंगिक समानता के सिद्धांत पर ‘तीन तलाक’ के मुद्दे को सुलझाया जाए। आयोग ने राष्ट्रीय महिला नीति के मसौदे को लेकर अपनी सिफारिशों के तहत इस हफ्ते की शुरूआत में मंत्रालय को सुझाव भेजे हैं।
मंत्रालय को भेजी गई आयोग की सिफारिश में कहा गया है, ‘वैवाहिक बलात्कार को कानून के तहत मान्यता देनी चाहिए। महिलाओं को जरूरी सहायता देकर वैवाहिक बलात्कार की पीड़ितों के मुद्दों को सुलझाने की जरूरत है।’ ‘तीन तलाक’ के विवादित मुद्दे पर आयोग ने लैंगिक समानता के सिद्धांत के आधार पर ‘पर्सनल लॉ’ में सुधार की जरूरत बताई।
इस मुद्दे पर मौजूदा मसौदा नीति में कहा गया, ‘पर्सनल लॉ की बहुलता को देखते हुए इसकी समीक्षा की जरूरत है।’ आयोग ने अपनी सिफारिशों में ‘पर्सनल लॉ’ में बहुलता स्वीकार की है, लेकिन कहा है, ‘बुनियादी मसला बहुलता नहीं है, बल्कि यह तथ्य है कि सभी पर्सनल लॉ किसी न किसी तरीके से लैंगिक असमानता को बढ़ावा देते हैं।’
सिफारिशों के मुताबिक, ‘एकरूपता इस समस्या का समाधान नहीं हो सकती। अलग-अलग तरीके के ‘पर्सनल लॉ’ के दायरो में लैंगिक समानता के आधार पर सुधारों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन ज्यादा स्वीकार्य समाधान हो सकता है।’