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‘माननीय’ बनने को अति शर्मनाक…

TIL Desk #Election/ ठेठ बुंदेलखंडी में कंहू तो ज़र, जोरू और ज़मीन के लिए ख़ूनी रिश्तों को जार-जार होते कई बार देखा, सुना व् पढ़ा है | पर महज चंद वोटों के ख़ातिर सगे भाई का क़त्ल अतिशर्मनाक पतन की पराकाष्ठा ही कही जाएगी और यह हत्या भी इसलिए ताकि इलाके के मतदाता सहानुभूति का वोट देकर ‘माननीय’ बना दें | जी हाँ, यह वही वाक्या हैं जो यूपी के बुलंदशहर ज़िले के खुर्जा में हुआ | यहाँ राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी मनोज गौतम ने अपने सगे भाई विनोद व् उसके दोस्त सचिन का क़त्ल शार्प शूटरों से करवा दिया | ताकि भाई की मौत की दुहाई देकर मतदाताओं से सहानुभूति का वोट बटोर संके | वो तो भला हो यँहा की लेडी एस0एस0पी0 सोनिया सिंह का जिन्होंने चौबीस घंटो के अंदर राज़ से पर्दा हटा दिया और प्रत्याशी महोदय एक शार्प शूटर के साथ दबोच लिए गए | मनोज के ड्राइवर के मोबाईल फ़ोन को ट्रेस करने के बाद ही हत्याकांड की परते खुलनें लगीं |
 
हुआ यूं कि मनोज गौतम कि चुनाव सभा संबोधित करने जयंत चौधरी ख़ुर्जा आये थे | इस सभा में उनका भाई विनोद अपने दोस्त सचिन के साथ स्कोर्पियो गाड़ी लेकर पहुँचा था | सभा ख़त्म होने के बाद मनोज ने भाई को फोन किया कि वह अगवाल फाटक पहुंचे | वह दोस्त सहित गाड़ी से वंहा गया तो दोनों ही शार्पशूटर प्रत्याशी कि लाइसेंसी रिवाल्वर लिए मिल गये | वे इन्हें लेकर पास ही एक आम के बाग़ में पहुंचे और दोनों को ही गोली मार दी | सुबह अगवाल फाटक के नीचे स्कोर्पियो व् आम के बाग़ से दोनों दोस्तों कि लाशें पुलिस को मिल गयी | पकड़े जाने के बाद खुद मनोज गौतम ने कबूल किया कि भाई कि हत्या उसने सहानुभूति वोट पाने के लिए कराई | वह किसी भी हालत में विधायक बनना चाहता है | क्योंकि चुनाव के चक्कर में चार-पांच करोड़ का क़र्ज़ लद गया है | इसी बीच एक सलाहकार ने कहा कि किसी सगे रिश्तेदार को मरवा दो तो सहानुभूति में एम्ए0ल0ए0 बन जाओगे |
 
यही कारण है कि आज कि राजनीती बदनाम हो गयी है | आप माननीय बने नहीं कि लाखों-करोडों कमाने में देर नहीं लगती | कुछ राजनीतिक दल भी केवल टिकट देने के लिए करोडों तक कि बोली लगाते हैं | इन्हें विधायकों कि सुविधाएं तो मिलती ही है साथ ही सरकारी निधियों से लंबा कमीशन | ट्रांसफर, पोस्टिंग का रोज़गार कर लिया तो पौ बारह | ऐसे दागी छवि के प्रत्याशी या माननीय आपको हर दल में मिल जायेंगे | कोई बिल्डर होगा तो कोई भूमि या खनन माफ़िया | अब फ़ैसला तो आख़िर जनता को करना है |
 
सुधीर निगम
रेजिडेंट एडिटर
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