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शीला दीक्षित उत्तरप्रदेश में काँग्रेस मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं होंगी

नई दिल्ली डेस्क/ उत्तरप्रदेश में चुनाव अगले साल है लेकिन इसेक लिये राजनीतिक उठा पटक अभी से ही शुरू हो चुकी है। अटकले लगाई जा रही थी कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित यूपी चुनाव में काँग्रेस का चेहरा होंगी। इस पर सफाई देते हुए शीला दीक्षित ने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार के रूप में पेश किए जाने का अपनी कांग्रेस पार्टी का प्रस्ताव कथित रूप से ठुकरा दिया है।

जानकारों की माने तो शीला दीक्षित ने पार्टी को बता दिया है कि वह उत्तर प्रदेश चुनाव में पार्टी का चेहरा बनने की इच्छुक नहीं हैं। उनके नाम को पेश किए जाने का सुझाव अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दिया था।  इस बार प्रशांत किशोर कांग्रेस को जिताने के लिये उत्तर प्रदेश में नई रणनीति बना रहे है। दरअसल, प्रशांत किशोर उन्हें ब्राह्मण चेहरे के रूप में पेश करना चाहते थे। हालांकि शीला दीक्षित ने इस बात पर कहा कि वह पार्टी के इस फैसले का सम्मान करती है लेकिन वह इसकी इच्छुक नहीं है।

दिल्ली में तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने इस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श करने के लिए इसी माह की शुरुआत में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की थी। बैठक के बाद शीला दीक्षित ने कुछ भी कहने से यह कहकर इंकार कर दिया था कि अभी उनके पास बताने लायक कुछ नहीं है। सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले के बाद काँग्रेस सुप्रिमों सोनिया गांधी ने शीला दीक्षित को दो विकल्प दिए थे। पहला यह कि या तो वे यूपी में पार्टी का चेहरा बनें, या फिर पंजाब में चुनाव के लिए पार्टी की कमान संभालें। इस बात पर शीला दीक्षित ने फैसला करने के लिए कुछ वक्त मांगा था।

इस पूरे मामले के बाद शीला दीक्षित ने साफ कर दिया कि उत्तरप्रदेश में काँग्रेस का चेहरा नहीं होंगी। इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वे पंजाब की कमान संभाल सकती है। लेकिन इन सब के बाद एक बात दिलचस्प होगी कि क्या शीला दीक्षित आने वाले समय में पंजाब की कमान संभालेंगी।

 

 

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