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यश भारती पुरस्कारों की पेंशन पर संकट के बादल

यश भारती पुरस्कारों की पेंशन पर संकट के बादल

यूपी डेस्क/ यश भारती और पद्म पुरस्कारों के लिए दी जा रही 50 हजार रुपये महीने की पेंशन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। संस्कृति निदेशालय ने पत्र लिखकर शासन से यश भारती की समीक्षा करने की मांग की है और पेंशन भुगतान पर राय मांगी है। मुलायम सरकार में शुरू किए गए यश भारती पुरस्कारों में 11 लाख रुपये एकमुश्त दिए जाते हैं। पिछले साल तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने यश भारती और यूपी से पद्म पुरस्कार पाने वाली विभूतियों को 50 हजार रुपये महीना पेंशन देने का भी आदेश दिया था। यश भारती पाने वालों में अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन भी शुमार हैं। हालांकि, वो पेंशन नहीं लेते।

यश भारती के लिए चुनाव पर सवाल भी उठते रहे। यहां तक कि स्टेज पर एंकरिंग से खुश होकर अखिलेश यादव ने एंकर तक को तुरंत यश भारती देने का ऐलान कर दिया था जबकि नियमत: इसके लिए पहले से आवेदन मांगे जाते हैं। इन शिकायतों को देखते हुए ही 20 अप्रैल को प्रजेंटेशन में सीएम योगी आदित्यनाथ ने यश भारती पुरस्कारों की समीक्षा को कहा था। योगी के इस आदेश के बाद से पेंशन को लेकर संशय की स्थिति है। संयुक्त निदेशक अनुराधा गोयल की ओर से शासन को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में 5 महीने के लिए 4.16 करोड़ का बजट पेंशन के लिए रखा गया था। पेंशन प्राप्त कर रहे महानुभावों को मार्च से भुगतान किया जाना है। दूसरी ओर सीएम ने इसकी समीक्षा को कहा है। पेंशन भी सम्मान के ही आधार पर दी जा रही है। ऐसे में पेंशन भुगतान के संदर्भ में स्थिति स्पष्ट करें ताकि आवश्यक कार्यवाही की जा सके।

संस्कृति निदेशालय ने आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर को जवाब में भी मामला शासन को संदर्भित किए जाने की जानकारी दी है। नूतन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कर कहा था कि तमाम साधन संपन्न लोगों को भी यश भारती की पेंशन मिल रही है। वर्तमान में करीब 250 लोगों को 50000 रुपये पेंशन दी जा रही है।

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