लखनऊ डेस्क/ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्कूलों में मनमानी फीस बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने की कवायद शुरू कर दी है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो फीस बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने के लिए अब सरकार स्कूलों के साथ ही जनता से भी राय लेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं। विभाग की ओर से मंगलवार देर रात को विधेयक का प्रारूप मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शित किया गया। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि ऐसा प्रस्ताव तैयार किया जाए, जिसमें न छात्रों का शोषण हो और न ही स्कूलों का अहित। नगरीय निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने के कारण प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू है, लिहाजा फीस नियंत्रण विधेयक पर रायशुमारी के लिए विभाग इस बाबत राज्य निर्वाचन आयोग से मंजूरी लेगा।
अधिकारियों की माने तो निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर लगाम कसने के लिए राज्य सरकार की ओर से उप्र स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का विनियमन) विधेयक, 2017 का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इसके मुताबिक निजी स्कूलों में साल दर साल होने वाली फीस वृद्धि का आधार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक होगा। आगामी शैक्षिक सत्र की फीस तय करने के लिए प्रत्येक स्कूल कक्षावार छात्रों की संख्या के आधार पर ताजा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में फीस का पांच फीसदी जोड़ते हुए शुल्क वृद्धि कर सकेगा।
शर्त यह होगी कि इस तरह से निर्धारित की गई फीस स्कूल के शिक्षकों व कर्मचारियों की मासिक प्रति व्यक्ति आय में हुई वृद्धि के औसत से अधिक नहीं होगी। स्कूल के परिसर में आयोजित व्यावसायिक गतिविधियों से होने वाली आय को स्कूल की आमदनी माना जाएगा और फीस में बढ़ोतरी आय और व्यय के समानुपाती होगी। अधिकारियों की माने तो छात्र या उनके अभिभावक या अभिभावक संघ से मिलने वाली शिकायतों के निस्तारण के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में जोनल शुल्क विनियामक समिति का गठन किया जाएगा। उसके फैसले से असहमति होने पर पक्षकार राज्य स्ववित्तपोषित विद्यालय प्राधिकरण में अपील कर सकेंगे।