यूपी डेस्क/ उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में भर्ती की जांच को लेकर आयोग और यूपी सरकार आमने-सामने आते दिख रहे हैं। दरअसल योगी सरकार ने अखिलेश सरकार के दौरान पांच साल में यूपीपीएससी में हुई भर्तियों की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। मामले में यूपीपीएससी ने इस आदेश खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है। मामले में बुधवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपीपीएससी के चेयरमैन अनिरुद्ध सिंह यादव को लखनऊ तलब किया।
सीएम से मुलाकात के बाद चेयरमैन ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने अपना पक्ष रखा है। सीएम ने आयोग के काम काज के बारे सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि अदालत जाने का फैसला आयोग का है। अब मामला कोर्ट में है। उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच को लेकर राज्य सरकार की ओर प्रक्रियात्मक गलतियां हुई थींं, जिस पर आपत्ति की गई। उन्होंने कहा कि वह बहुत कुछ नहीं कह सकते पर आयोग एक संवैधानिक व्यवस्था है और इसकी स्वायत्तता बनी रहनी चाहिए। बता दें कि आयोग के चेयरमैन अनिल यादव को हाईकोर्ट के आदेश के बाद हटा दिया गया था। इनकी नियुक्तियों पर सवाल उठे थे। पता चला कि इसके बाद कार्यवाहक चेयरमैन सुनील जैन के खिलाफ सवाल उठे। पता चला कि दोनों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मुकदमे थे। वर्तमान चेयरमैन अनिरुद्ध सिंह यादव नियुक्ति से पहले गोविंद बल्लभ पंत महाविद्यालय बदायूं के प्राचार्य थे।
यूपीपीएससी में भर्तियों की सीबीआई जांच एक अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 बीच के समय की हो रही है। सीबीआई जांच के दायरे में पिछले पांच साल की नियुक्तियां हैं। इसके तार आयोग में पदस्थ सदस्यों से भी जुड़े हैं। आरोप है कि मुख्य परीक्षाओं से ध्यान हटाकर आयोग का फोकस विशेष तौर पर सीधी भर्ती की परीक्षाओं पर रहा।