लखनऊ डेस्क/ उत्तर प्रदेश में बीते दिनों आगजनी-हिंसा-हत्या के मामलों को लेकर सूबे की सरकार गंभीर है। सूबे में नागरिक संशोधन कानून की आड़ में बीते दिनों विध्वंसकारी ताकतों द्वारा छेड़ी गई खूनी जंग का बदला लेने के लिए, राज्य सरकार हर संभव उपाय तलाशने में जुटी है। कोई बड़ी बात नहीं है कि, दंगों से बेहाल योगी सरकार आईंदा के लिए ऐसी विद्रोही ताकतों को कुचलने की खातिर ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ जैसे कुछ खुराफाती संगठनों पर ही प्रतिबंध लगा दे! राज्य के कुछ आला-अफसरान मानते हैं कि हाल में सामने आए इस संगठन पर राज्य सरकार की पैनी नजर तो है। प्रतिबंध के बाबत वे मगर मौजूदा माहौल में कुछ भी खुलकर बोलने को राजी नहीं हैं।
नागरिक संशोधन कानून को लेकर देश भर में मचे बवाल के चलते सबसे ज्यादा सरकारी संपत्ति को नुकसान उत्तर प्रदेश को हुआ है। इसी सूबे में सबसे ज्यादा लोगों की जान भी गई है। इस सिलसिले में यूपी पुलिस ने मेरठ में दो उपद्रवियों को गिरफ्तार किया। यूपी पुलिस के महानिरीक्षक स्तर के एक आला अफसर ने दोनों आरोपियों से पूछताछ में पता चली सनसनीखेज जानकारियों के बारे में बताया, “दोनों गिरफ्तार उपद्रवी पॉपुलर फ्रंड ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सक्रिय पदाधिकारी हैं।”
इन दोनों गिरफ्तार सदस्यों से पूछताछ के दौरान यूपी (मेरठ) पुलिस को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की काली-करतूतों के बारे में तमाम सनसनीखेज जानकारियां हाथ लगी हैं। इस बारे में उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने मंगलवार देर रात कहा, “प्रतिबंध के बारे में फिलहाल मैं कुछ नहीं बोल पाऊंगा।”
उन्होंने आगे कहा, “प्रतिबंध जब लगेगा तब लगेगा। जब तक प्रतिबंध लग नहीं जाता है, तब तक कुछ कहना ठीक नहीं है। एहतियातन प्रतिबंध लगाना राज्य सरकार का पॉलिसी मैटर है। यूपी पुलिस द्वारा मेरठ में इस संगठन के सदस्यों की गिरफ्तारी से काफी कुछ स्थिति साफ हो चुकी है। फिलहाल यूपी पुलिस और राज्य सरकार का खुफिया तंत्र इस संगठन की तमाम संदिग्ध गतिविधियों पर पैनी नजर रखे है। ताकि आने वाले वक्त में बीमारी का इलाज जड़ से किया जा सके।”