लखनऊ डेस्क/ जेएनयू हिंसा पर सियासत तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा- जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में प्लान कर हिंसा की गई। शिक्षकों पर भी हमला हुआ। योगेंद्र यादव पर भी हमला किया गया। जेएनयू को एक विचारधारा के लोग अपनी विचारधारा में ढालना चाह रहे हैं। बीएचयू में भी इसी विचारधारा के लोगों ने हंगामा करने का काम किया था। पूरे मामले में पुलिस मूकदर्शक बनी रही, एबीवीपी के लोग छात्र संघ पर कब्जा करके राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं। ऐसे लोगों को शिक्षा से कोई मतलब नहीं है। हमारी यह मांग है कि सरकार और पुलिस जानती है कि वह कौन लोग हैं? उन पर कार्रवाई की जाए।
उत्तर प्रदेश में दिसंबर माह में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा पर अखिलेश यादव ने कहा- भाजपा कभी भी सच नहीं बोलती। जितने लोगों की जानें गई हैं, वह पुलिस की गोली से गई है। मुख्यमंत्री ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए दंगा करवाया है। मुख्य मुद्दों से ध्यान बांटने के लिए भाजपा ऐसा करती है। गोरखपुर में बच्चों की मौत पर क्या हुआ? कोटा की चिंता तो मुख्यमंत्री को है, लेकिन गोरखपुर में क्या किया? तब के स्वास्थ्य मंत्री ने यह कहा था कि हर साल बच्चे मरते हैं। भाजपा ने मरने वाले बच्चों की संख्या कम बताए, जबकि जनवरी 2019 से अक्टूबर तक गोरखपुर में डेढ़ हजार से अधिक बच्चों की मौत हुई है।
सरकार गोरखपुर में मरे बच्चों के आंकड़ों को छुपा रही है। इसकी जांच एक सिटिंग जज की देख रेख में हो। जब जांच होगी तो सच्चाई खुद बखुद सामने आ जाएगी। कहा- मुलायम सिंह सरकार ने मृतक बच्चों के परिजनों को 25 हजार व दिव्यांग बच्चों को 50 हजार देने की घोषणा की थी। जब 2012 में फिर हमारी सरकार आई तो मृतकों को 50 हजार और दिव्यांग बच्चों के परिजनों को 1 लाख दिया जाता था।