लखनऊ डेस्क/ मूर्तियों पर जनता के पैसे की फिजूलखर्ची के मामले में बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया। उन्होंने मूर्ति बनवाने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि यह लोगों की इच्छा थी। उन्होंने 2007 से 2011 के बीच लखनऊ और नोएडा में अपनी और उनकी पार्टी के चिह्न हाथी की प्रतिमाएं बनवाई थीं। इसी पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मायावती को प्रतिमाओं पर खर्च जनता का पैसा लौटाना होगा।
एक याचिका में आरोप लगाया है कि मायावती ने इन प्रतिमाओं की मदद से खुद की छवि चमकाई। इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिमाओं से राज्य के विधानमंडल ने एक दलित महिला नेता के प्रति सम्मान दिखाया है। आखिर मैं उनकी इच्छा का अनादर कैसे करुं?
इसके साथ ही मायावती ने कहा कि यह पैसा शिक्षा, अस्पताल या किसी और चीज पर खर्च किया जाना था यह एक बहस का मुद्दा है। अदालत यह तय नहीं कर सकती। यह स्मारक लोगों को प्रेरणा दिलाने के लिए बनाए गए थे। इनमें हाथियों की मूर्तियां केवल वास्तुशिल्प की बनावट हैं। ये बसपा के प्रतीक नहीं हैं।