Top Story, हिंदी न्यूज़

समाजवाद के हुए टुकड़े-टुकड़े…क्या मुँह लेकर करके वोट मांगोगे…

झगड़ा, झंझट, गुंडई और भाई-भतीजावाद…क्या यही है मुलायम एंड कंपनी का समाजवाद! अब क्या मुँह लेकर करके वोट मांगोगे…

TIL Desk/Lucknow- तू मेरी सुन मैं तेरा चाचा हूँ…तुम मेरी सुनो मैं भतीजे के साथ-साथ प्रदेश का मुख्यमंत्री भी हूँ…तुम सब मेरी सुनो मैं मुलायम हूँ आज भी लोहे सा दम रखता हूँ गर्म हो गया तो सबको जला दूँगा| शिवपाल ज़िंदाबाद… हमारा समाजवादी नेता शिवपाल सिंह यादव है| अखिलेश ज़िंदाबाद…हमारा समाजवादी नेता अखिलेश यादव है| उत्तर प्रदेश के मुखिया के घर में आजकल यही चल रहा है| बाप बेटे को, चाचा भतीजे को, भतीजा चाचा और बाप को, भाई-भाई को अपनी हैसियत का चढ़ता पारा दिखा रहा है| ये है मुखोटे उतरने के बाद का समाजवादी चेहरा जिसपर समाजवाद की जगह परिवारवाद का रंग चढ़ा हुआ है| कुर्सी और वसीयत पाने की होड़ में परिवार के लोग एक दूसरे को रौंद रहे है| इतिहास के पन्नो में हम आपने आने वाली पीढ़ी को समाजवाद का क्या उदाहरण देंगे!उफ्फ्फ… एक राजा ने लोकतंत्र में सत्ता पर काबिज़ रहने के लिए समाजवाद के नाम पर पर भाई-भतीजा और वंशवाद को बढ़ावा दिया| जातिगत नीति बनाकर लोकतंत्र में लोगो के साथ छलावा करता रहा जबकि खुद उसके घर में समाजवाद की धज्जिया उड़ती रही|
बन्दरबाँट के चक्कर में समाजवाद का जो चेहरा उत्तर प्रदेश की जनता के सामने आया है उसे देखने के बाद लोकतंत्र और समाजवाद की धज्जियाँ कैसे उड़ती है का पर्दाफाश हो चुका है| अब क्या होगा! जवाब पाने के लिए जनता तड़प रही है और मतदाता आहत है| उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव से पहले एक चिटफण्ड कंपनी की तरह समाजवादी पार्टी और अखिलेश सरकार औंधे मुँह गिर पड़ी है| राजनीति का खेल अभी ख़त्म नहीं हुआ है क्योकि तमाशबीन बने विपक्षी, लोकतंत्र और जनता को ठगने की नयी तरकीब लगा चुके है| इलेक्शन होना है क्योकि ये संविधान कहता है चाहे चोर-चोर मौसेरे भाई ही क्यों न हों|
ये लेख लिखते समय मुझे समाजवादी स्वर्गीय रजनीकांत वर्मा जी का चेहरा याद आ रहा है जो 2006-07 के आस पास मुलायम सरकार में उच्च शिक्षा सलाहकार थे| उन्होंने उस वक़्त सामजवादी पार्टी के हालात पर गहरी चिंता जताई थी और भावुक होकर फूट-फूट कर रोने लगे थे| लगभग दस साल बाद ठीक वही हुआ जैसा वो सोंचते थे| अगर मैं खोजू तो उनका वीडियो इंटरव्यू ज़रूर मिल जायेगा पर सोंचता हूँ मेहनत क्यों करूँ जब सामाजवादी की साईकिल पर सवार बाप-बेटे की नहीं सुन रहा तो मेरी कौन सुनेगा|

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *