नई दिल्ली डेस्क/ वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि माल की तेज आवाजाही और उद्योगों की लेनदेन लागत कम करने के लिए सरकार एकीकृत लॉजिस्टिक योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना में रेल, सड़क, जहाज और हवाई परिवहन सबको शामिल किया जा सकता है। सीआईएलटी एक्सपो 2018 को यहां संबोधित करते हुए प्रभु ने कहा, ‘‘हम एक एकीकृत लॉजिस्टिक योजना और एक पोर्टल बनाने पर भी काम कर रहे हैं, ताकि देश में लॉजिस्टिक को अधिक क्षमता एवं लागत प्रभावी बनाया जा सके।’’
उन्होंने कहा कि व्यापार और विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए उसे लॉजिस्टिक से जोड़ा गया है। इसकी क्षमता में सुधार से आर्थिक विकास को तेज करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव बढ़ने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान आया है। इससे भारतीय लॉजिस्टिक कंपनियों के पास आगे बढ़ने के व्यापक अवसर हैं।
देश में लॉजिस्टिक की लागत हमारे सकल घरेलू उत्पाद का करीब 14 प्रतिशत बैठती है जबकि विकसित देशों में यह लागत मात्र सात से आठ प्रतिशत है। इसलिए हमारे यहां एकीकृत योजना बनाया जाना अहम है। देश का लॉजिस्टिक उद्योग अभी करीब 215 अरब डॉलर का है जो 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से वृद्धि कर रहा है। कार्यक्रम में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने कहा कि रेल मंत्रालय कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इसमें प्रतिबद्ध माल आवाजाही गलियारा शामिल है जो समय और लागत को कम करने में मदद करेगा।