नई दिल्ली डेस्क/ बुलंदशहर सामूहिक बलात्कार मामले की जांच और सुनवाई उत्तर प्रदेश से बाहर करने की, उसकी पीड़ित के पिता की अपील पर संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज राज्य सरकार तथा उसके मंत्री आज़म खान को इस मामले में नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ ने राज्य के शहरी विकास मंत्री आज़म खां के इस कथित विवादित बयान पर भी संज्ञान लिया कि यह घटना एक ‘राजनीतिक षड्यंत्र’ है।
गौरतलब है कि अपील में खां के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई है। न्यायालय ने न्यायविद एवं वरिष्ठ अधिवक्ता एफ एस नरीमन को इस मामले में एमिकस क्यूरी भी नियुक्त किया है। मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की गई है। कई संवैधानिक सवाल भी न्यायालय ने किए जिसमें यह सवाल भी शामिल था कि क्या सार्वजनिक पद पर बैठा कोई व्यक्ति ऐसा बयान दे सकता है कि पीड़ितों के मन में मामले की निष्पक्ष जांच को लेकर ‘अविश्वास’ पैदा हो जाए। साथ ही न्यायालय ने जानना चाहा कि क्या ऐसा बयान अभिव्यक्ति एवं बोलने की आजादी का हिस्सा हो सकता है।
बुलंदशहर में पिछले माह राजमार्ग पर एक मां और बेटी के साथ कथित सामूहिक बलात्कार की घटना हुई थी। जिस व्यक्ति की पत्नी और बेटी के साथ यह घटना हुई उसने 13 अगस्त को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर मामले की सुनवाई दिल्ली में कराए जाने और खां सहित कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है।