लखनऊ डेस्क/ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को यहां कहा कि समाज में सम्मानजनक जीवन जीने में विज्ञान की भूमिका बहुत बड़ी हो सकती है। उन्होंने कहा कि समाज ने जब भी विज्ञान की ऊर्जा का संरचनात्मक उपयोग किया है तो समाज का एक बड़ा वर्ग लाभान्वित हुआ है। मुख्यमंत्री गुरुवार को लोकभवन में आयोजित वैज्ञानिक सम्मान समारोह (वर्ष 2014-15 एवं 2015-16) को सम्बोधित कर रहे थे।
इस मौके पर उन्होंने सम्मानित होने वाले वैज्ञानिकों, युवा वैज्ञानिकों, अनुदेशकों को बधाई दी और कहा, “यह सम्मेलन दो वर्ष पूर्व होना था, लेकिन नहीं हो पाया। 2014-15 और 2015-16 में जिन वैज्ञानिकों, युवा वैज्ञानिकों और शिक्षकों का सम्मान होना चाहिए था, सम्मेलन के माध्यम से आज यहां पर उन सभी का सम्मान किया जा रहा है।” उन्होंने कहा कि पहली बार हुआ है कि खेती-किसानी को विज्ञान से जोड़कर सॉइल हेल्थ कार्ड किसानों को उपलब्ध कराया गया है, जिससे बड़ी मात्रा में पेस्टिसाइड्स और रासायनिक उर्वरकों को बंद किया गया।
योगी ने कहा कि 2014 से पहले किसी को सरकार से कोई सहायता लेने के लिए चेक पर निर्भर रहना पड़ता था कि चेक उसको मिलेगा फिर खाते में राशि जाएगी, यानी समय से पैसा न मिलने की आम शिकायत होती थीं। लेकिन, जैसे ही डीबीटी के माध्यम से डिजिटल पेमेंट की व्यवस्था शुरू हुई, पैसा लाभार्थी के खाते में पहुंचने लगा। उन्होंने कहा कि तकनीक के इस उपयोग ने आम जनता को शासन की योजनाओं से लाभान्वित करने के साथ-साथ उसके जीवन में बड़ा परिवर्तन किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था। समाज में सम्मानजनक जीवन जीने में विज्ञान की एक बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है। इस समाज ने जब भी विज्ञान की ऊर्जा का संरचनात्मक उपयोग किया है, उससे समाज का एक बड़ा वर्ग लाभान्वित हुआ है। हमने पहले खेती-किसानी के लिए विज्ञान की सोच का सही ढंग से प्रयोग नहीं किया। नहीं तो किसानों के जीवन में और भी खुशहाली ला सकते थे। आज भी इसकी जरूरत है। किसान-वैज्ञानिक को किसानों के दिशा में अधिक शोध करना चाहिए।”
मुख्यमंत्री ने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे आम आदमी के जीवन में व्यापक बदलाव लाने के उद्देश्य से शोध करें। उन्होंने कहा कि पहले लोगों के लिए मोबाइल सपना होता था लेकिन आज सभी लोग मोबाइल का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान ने मानवता में कितना फर्क दिखाया है, यह सबके सामने है। उन्होंने कहा कि एक समय भीषण खाद्यान संकट था, लेकिन देश ने नई क्रांति की और आत्मनिर्भरता हासिल की।
सम्मान समारोह में वर्ष 2014-15 के लिए ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वेजीटेबल रिसर्च’ वाराणसी के बिजेंद्र सिंह व आईआईटी कानपुर के डॉ. शलभ को विज्ञान रत्न एवं लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ. उपेंद्र नाथ द्विवेदी को ‘विज्ञान गौरव पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया गया।2015-16 के लिए एसजीपीजीआई लखनऊ के डॉ. निर्मल कुमार गुप्ता को ‘विज्ञान गौरव’ व आईआईटीआर लखनऊ के डॉ. रजनीश कुमार चतुवेर्दी व केजीएमयू लखनऊ के डॉ. पूरन चंद्र को विज्ञान रत्न से सम्मानित किया गया। समारेह में विभिन्न श्रेणियों में 45 वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया।