लखनऊ डेस्क/ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राज्य सरकार बुंदेलखंड की पेयजल समस्या का समाधान करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है। महाराष्ट्र में चलाए गए ‘सुजलाम सुफलाम’ अभियान की तर्ज पर हमीरपुर व महोबा में पायलेट प्रोजेक्ट लागू कर अध्ययन करने के निर्देश किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने यह निर्देश अपने आवास पर बुंदेलखंड में पेयजल योजनाओं के संबंध में प्रस्तुतिकरण देखने के दौरान दिए। उन्होंने गंगा और यमुना नदी का जिक्र करते हुए कहा कि इनकी अविरलता बनाए रखने से जल आपूर्ति के लिए निर्भरता कम करनी होगी। इस दिशा में राज्य सरकार आवश्यक कार्यवाही की कर रही है। नदियों के तटों पर निश्चित अंतराल पर जल संचयन के लिए विशाल तालाबों का निर्माण किया जाएगा। साथ ही, भूगर्भ जल की रिचार्जिग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बुंदेलखंड सहित प्रदेश के विभिन्न जनपदों में पेयजल की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार 6 विलुप्तप्राय नदियों को पुनर्जीवित करने की दिशा में काम कर रही है। जल्द ही इसके सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पिछले वर्ष से ही बुंदेलखंड सहित प्रदेश के अन्य जनपदों में जलसंचयन की दिशा में सार्थक प्रयास शुरू कर दिए गए थे, जिसके चलते इस वर्ष अधिकतर क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध है। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र राज्य में जल समस्या के समाधान के लिए सरकार, राजनैतिक संगठनों, स्वयंसेवी संगठनों तथा जनसहभागिता से चलाए जा रहे ‘सुजलाम सुफलाम’ अभियान पर प्रस्तुतिकरण भी देखा। महाराष्ट्र में यह अभियान सूखा प्रभावित जनपदों में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस अभियान को सूखा प्रभावित जनपद में जिला प्रशासन की मदद से लागू किया जाता है। इसके तहत संबंधित जनपद में सबसे पहले विभिन्न वाटरशेड ढांचों जैसे- डैम, तालाब, एमआई टैंक, परकोलेशन पॉण्ड तथा फार्म पॉण्ड को चिन्हित किया जाता है। इनके लिए आवश्यक प्रशासनिक और तकनीकी मंजूरियां प्रदान की जाती हैं। इसके बाद मशीनों द्वारा खुदाई का कार्य किया जाता है। बांधों तथा जल इकाइयों से सिल्ट की सफाई की जाती है। नालों को चौड़ा और गहरा किया जाता है। मशीनों की उपलब्धता सीएसआर के माध्यम से की जाती है।
मुख्यमंत्री ने इस अभियान की सराहना करते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त के नेतृत्व में एक टीम को महोबा तथा हमीरपुर जनपदों में इस अभियान को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में लागू करने के लिए अध्ययन करने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि इन दोनों जनपदों में इस अभियान के तहत स्थानीय आवश्यकता के अनुसार कार्य किया जाए। इसके परिणाम देखने के बाद पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में इसे लागू किया जाएगा, ताकि इस क्षेत्र के गांव-गांव तक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में जल संचयन से संबंधित कार्यों को इस अभियान के अनुसार करने पर भी विचार किया जाएगा। इस अवसर पर केंद्रीय स्वच्छता मंत्रालय के सचिव परेश्वरन अय्यर, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, मुख्य सचिव डॉ.अनूप चंद्र पांडेय, अपर मुख्य सचिव (सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एस.पी. गोयल, महाराष्ट्र के मृदा एवं जल संरक्षण आयुक्त दीपक सिंगला भी मौजूद थे।