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आगरा में राहुल और अखिलेश का साझा रोड शो

आगरा में राहुल और अखिलेश का साझा रोड शो

आगरा डेस्क/ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आगरा में एक बार फिर साझा रैली कर रहे हैं | इससे पहले दोनों नेताओं ने लखनऊ में साझा रोड शो किया था| इसके बाद दोनों नेता 9 फरवरी को कानपुर में भी रोड शो करेंगे |

हालांकि दोनों ही नेताओं की पार्टियों के बीच गठबंधन को लेकर कुछ मुद्दे अभी भी सुलझे नहीं हैं, लेकिन रोड शो जारी रहेगा| पिछले हफ्ते लखनऊ में दोनों नेताओं की पहली साझा उपस्थिति में काफी संख्या भीड़ उमड़ी थी| गौरतलब है कि एकता का यह प्रदर्शन सिर्फ वोटरों के लिए ही नहीं, काडर के मनोबल को बढ़ाने के लिए भी बहुत जरूरी है| दोनों ही नेताओं को अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं में उपजी असंतुष्टि की भावना का ख्याल भी रखना है| जहां कांग्रेस को लगता है कि गठबंधन में उसे जूनियर पार्टनर मानते हुए 105 सीटें देना अपमानजनक बात है, वहीं यादव की सपा को लगता है कि जिस पार्टी का प्रदर्शन 2012 के विधानसभा और फिर 2014 के लोकसभा चुनावों में निराशाजनक रहा हो, उसके लिए इतनी सीटें जरूरत से ज्यादा हैं|

आगरा में 11 फरवरी को वोटिंग होगी| लखनऊ की ही तरह यादव और गांधी शुक्रवार को मिलकर – मर्सिडीज़ एसयूवी से बने विजय रथ के ऊपर से जनता को संबोधित करेंगे| इसके बाद वह दलितों के नेता डॉ बीआर आम्बेडकर की प्रतिमा को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे| बता दें कि आगरा के ग्रामीण इलाके में दलित मतदाता बहुसंख्या में हैं| यहां दलित वोट की संख्या 21 प्रतिशत है.जहां एक और कांग्रेस-सपा में सीटों को लेकर उठापटक चल रही है, वहीं बुधवार को एक और तनाव आ खड़ा है| सूत्रों के मुताबिक दोनों ही पक्ष के स्थानीय नेता चाहते हैं कि आगरा के रोड शो की शुरूआत उस इलाके से होनी चाहिए जहां से उनके उम्मीदवार लड़ रहे हैं| इस वजह से रोड मैप को अमली जामा पहनाने का काम काफी पेचीदा हो गया और स्थानीय प्रशासन के साथ जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने में भी देर होती चली गई|

कांग्रेस चाहती है कि अभियान की शुरूआत दक्षिण आगरा से हो जाए| वहीं सपा आगरा उत्तर से रैली को शुरू करना चाहती है| जहां एक जूता कंपनी के करोड़पति मालिक नज़ीर अहमद, दक्षिण आगरा से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, वहीं आगरा साउथ से होटल मालिक अतुल गर्ग, सपा की ओर से खड़े हुए हैं और उनके सामने बीजेपी उम्मीदवार और चार बार विजेता रह चुके जगन प्रसाद गर्ग खड़े हैं| हालांकि, जैसा कि जाहिर सी बात है, आखिर में समाजवादी पार्टी की बात ही मानी गई लेकिन इसके साथ ही एक बार यह जगजाहिर हुआ कि इस गठबंधन की गांठ बड़ी ढीली है|

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