श्रीनगर
इस साल अमरनाथ यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए बड़ी खुशखबरी है। श्री अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए तारीख सामने आ गई है। श्रद्धालुओं के लिए बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई शुरू होगी और 9 अगस्त तक चलेगी। 39 दिनों तक चलने वाली यात्रा के लिए प्रशासन ने खास इंतजाम किए हैं।
श्री अमरनाथ यात्रा का शेड्यूल जारी हो गया। इसे लेकर श्रद्धालु 3 जुलाई से 9 अगस्त तक बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकेंगे। अमरनाथ यात्रा 39 दिनों तक चलेगी।
जानकारी के मुताबिक श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड (Shri Amarnath Ji Shrine Board) जल्द ही एडवांस पंजीकरण के लिए अधिकृत किए जाने वाले बैंकों की शाखाओं की विस्तार से जानकारी उपलब्ध करवाएगा। चूंकि पंजीकरण के लिए स्वास्थ्य प्रमाणपत्र जरूरी है। इसलिए देश भर के राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में स्वास्थ्य प्रमाणपत्र बनने वाले अस्पतालों व डॉक्टरों की टीमों की सूची जारी की जाएगी। आम तौर पर पंजाब नेशनल बैंक, यस बैंक और जम्मू कश्मीर बैंकों की करीब साढ़े पांच सौ शाखाओं से पंजीकरण करने की व्यवस्था होती है। बोर्ड जल्द ही ग्रुप पंजीकरण के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा। साथ ही ऑनलाइन पंजीकरण को भी खोला जाएगा।
कितनी ऊंचाई पर हैं अमरनाथ गुफा?
यात्रा स्कंद षष्ठी के शुभ अवसर पर शुरू होती है और श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर समाप्त होती है। वर्ष के इस समय के दौरान, तीर्थयात्रियों के लिए मौसम काफी सुखद रहता है। यह क्षेत्र वर्ष के बाकी समय बर्फ से ढका रहता है, इसलिए उन महीनों के दौरान यहां नहीं जाया जा सकता है। अमरनाथ की यात्रा श्रीनगर और पहलगाम से शुरू होती है और अमरनाथ गुफा तक जाती है जो 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
इन मार्गों से होती है अमरनाथ यात्रा
38 दिनों तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा दो रास्तों से होती है। एक एास्ता अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा नुनवान-पहलगाम मार्ग का है जबकि दूसरा रास्ता गांदेरबल जिले में 14 किलोमीटर लंबा बालटाल से होते हुए है। श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर और समुद्र तल से 12,756 फीट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ यात्रा करने के लिए हर साल लाखों की तादाद में भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन करने पहुंचते हैं।
अमरनाथ यात्रा के लिए कहां से करें रजिस्ट्रेशनबाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है। ऐसे में भक्त श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट https://jksasb.nic.in पर जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके अलावा अमरनाथ श्राइन बोर्ड की मोबाइल एप्लिकेशन से भी अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।
यात्रा का मार्ग
मंदिर तक पहुंचने वाले मार्ग पर बेहद ही कठिनाई होती है। लिहाजा इसलिए अमरनाथ यात्रा मार्ग को जुलाई-अगस्त के आसपास श्रावण के महीने में ही जनता के लिए खोला जाता है। सड़क के रास्ते अमरनाथ पहुंचने के लिए पहले जम्मू तक जाना होगा फिर जम्मू से श्रीनगर तक का सफर करना होता है। श्रीनगर से तीर्थयात्री पहलगाम या बालटाल पहुँचते हैं। पहलगाम या बालटाल तक आप किसी भी वाहन से पहुंच सकते हैं लेकिन इससे आगे का सफर आपको पैदल ही करना होता है। क्योंकि पहलगाम और बालटाल से ही श्री अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होती है और पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए यहाँ से दो रास्ते निकलते हैं। पहलगाम से अमरनाथ की पवित्र गुफा की दूरी जहाँ करीब 48 किलोमीटर है वहीं बालटाल से गुफा की दूरी 14 किलोमीटर है। यहाँ से तीर्थयात्रियों को पैदल मार्ग से ही गुफा तक यात्रा करनी होती है।
चूँकि बालटाल से अमरनाथ गुफा तक की दूरी कम है और यह छोटा रूट है लिहाजा तीर्थयात्री कम समय में गुफा तक पहुंच सकते हैं। लेकिन यह रास्ता काफी कठिन और सीधी चढ़ाई वाला है इसलिए इस रूट से ज्यादा बुजुर्ग और बीमार नहीं जाते हैं। जबकि बात करें पहलगाम रूट की तो यह अमरनाथ यात्रा का सबसे पुराना और ऐतिहासिक रूट है। इस रूट से गुफा तक पहुंचने में करीब 3 दिन लगते हैं। लेकिन यह ज्यादा कठिन नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी का आता है जो पहलगाम बेस कैंप से करीब 16 किलोमीटर दूर है यहां तक रास्ता लगभग सपाट होता है इसके बाद चढ़ाई शुरू होती है। इससे अगला स्टॉप 3 किलोमीटर आगे पिस्सू टॉप है। तीसरा पड़ाव शेषनाग है जो पिस्सू टॉप से करीब 9 किलोमीटर दूर है। शेषनाग के बाद अगला पड़ाव पंचतरणी का आता है जो शेषनाग से 14 किलोमीटर दूर है। पंचतरणी से पवित्र गुफा केवल 6 किलोमीटर दूर रह जाती है।
पिछले साल 29 जून से शुरू हुई थी यात्रा
पिछले साल अमरनाथ यात्रा के लिए पहला जत्था 29 जून को रवाना हुआ था. यह यात्रा रक्षाबंधन के दिन यानी 19 अगस्त तक चली थी. पिछले साल श्रद्धालुओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. जम्मू-कश्मीर पुलिस की सुरक्षा विंग ने जम्मू में अमरनाथ बेस कैंप के आसपास के इलाके में तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए थे.