नई दिल्ली
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिए जाने से पाकिस्तान अब गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है. पाकिस्तान के इंडस रीवर सिस्टम अथॉरिटी (सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण) ने बताया कि बुधवार को उसे जितना पानी प्राप्त हुआ, उसकी तुलना में उसने 11,180 क्यूसेक अधिक पानी छोड़ा है, जिससे जल उपलब्धता का संकट और गहरा गया है. पाकिस्तान के दो प्रमुख जलाशयों, सिंधु नदी पर तरबेला और झेलम नदी पर मंगला, का जल स्तर अपने-अपने डेड स्टोरेज लेवल (जल भंडारण के न्यूनतम स्तर) के करीब पहुंच गया है. इसका मतलब यह है कि पानी का प्रवाह लगभग समाप्त हो गया है, जिससे सिंचाई या पीने के लिए इसका उपयोग सीमित हो जाता है.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में संकट गंभीर है, जहां खरीफ की खेती शुरू हो चुकी है, पिछले साल इसी दिन 1.43 लाख क्यूसेक की तुलना में केवल 1.14 लाख क्यूसेक पानी मिला है, जो 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्शाता है. भारत ने इस साल 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था, जब पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने 26 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे. भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश में कहा कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते. आने वाले सप्ताहों में स्थिति और खराब होने की आशंका है, विशेषकर इसलिए क्योंकि भारत अपनी जल भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए जम्मू और कश्मीर में बांधों से नियमित रूप से गाद निकालने और फ्लशिंग का काम कर रहा है.
पाकिस्तान का कृषि क्षेत्र गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है. महत्वपूर्ण फसलों में 13 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई है. कपास का उत्पादन 30 प्रतिशत से अधिक, गेहूं में लगभग 9 प्रतिशत और मक्का में 15 प्रतिशत की गिरावट आई है. पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र की कुल हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 में पिछले वर्ष के 24.03 प्रतिशत से घटकर 23.54 प्रतिशत रह गई, जिसका खास असर खरीफ उत्पादन पर पड़ा है. मानसून की बारिश में अभी कई सप्ताह बाकी हैं. पाकिस्तान के इंडस रीवर सिस्टम अथॉरिटी ने पहले ही खरीफ सीजन के आरंभ में 21 प्रतिशत तथा खरीफ सीजन के अंत में 7 प्रतिशत जल की कमी की चेतावनी दे दी है.
सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान लगातार भारत से सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार करने की अपील कर रहा है. उसके जल संसाधन मंत्रालय ने नई दिल्ली को चार पत्र भेजे हैं, जिनमें से सभी को भारत के जल शक्ति मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय को भेज दिया है. भारत अपने इस रुख पर अड़ा हुआ है कि कोई भी संधि आतंकवाद के साथ नहीं हो चल सकती. पाकिस्तान ने 1960 की संधि में मध्यस्थता करने वाले विश्व बैंक से भी हस्तक्षेप करने के लिए संपर्क किया है. हालांकि, विश्व बैंक ने इस मामले को उठाने से इनकार कर दिया. इस बीच, भारत अपने वाटर इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने पर काम कर रहा है, जिसमें ब्यास को गंगा और सिंधु को यमुना से जोड़ने वाली नई नहर परियोजनाएं, डोमेस्टिक स्टोरज में बढ़ोतरी और पाकिस्तान के साथ जल बंटवारे पर रणनीतिक नियंत्रण शामिल है.
आसमान से बरस रही आग, पानी के लिए मचा हाहाकार; मानसून के भरोसे है सरकार
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार की ओर से पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सिंघु जल समझौता रद कर दिया गया था, जिसका असर अब पड़ोसी देश में देखने को मिल रहा है। पाकिस्तान में गंभीर जल संकट नजर आने लगा है।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के किसान सूखे की मार झेलने का मजबूर हैं। पाकिस्तान सरकार की एक रिपोर्ट की माने तो सिंधु नदी प्रणाली से मिलने वाले पानी में सालाना औसत 13.3 प्रतिशत की कमी आई है।
पाकिस्तान की इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (Indus River System Authority-IRSA) की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंधु बेसिन से 5 जून को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बांधों में 1.24 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 1.44 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था।
विशेषज्ञों की मानें तो पानी की कमी का असर सीधा खरीफ फसलों की बुवाई पर पड़ेगा। हालांकि, मानसून की बारिश से स्थिति में सुधार उम्मीद जताई जा रही है। बारिश होने तक खेतों में फसल लगी है, उसके सूखे की चपेट में आने की आशंका लगातार बनी हुई है।
केंद्रीय जल आयोग के पूर्व अध्यक्ष ए.के. बजाज ने एक चैनल से कहा कि पाकिस्तान में सिंधु नदी प्रणाली से जुड़ी नदियों और जलाशयों में जलस्तर घट गया है। इसके कारण वहां के किसान संकट में हैं।