नई दिल्ली
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस में अपने पहले संबोधन में कई बड़ी घोषणाएं की। इसमें भारत, जापान और साउथ कोरिया पर रिसेप्रोकल टैरिफ शामिल है। ट्रंप ने कहा कि यह 2 अप्रैल से लागू हो जाएगा। उन्होंने बाहरी सामानों को घृषित और गंदा कहा, जो बिना टेस्टिंग के अमेरिका आ रहे हैं। अमेरिका के इस झटके के बीच भारत ने रूस दौरा फिक्स किया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री 7 मार्च को रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। भारत के लिए यह दौरा अहम होने वाला है। भारत और रूस के बीच व्यापक द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, वे अपने रूसी समकक्ष के साथ चर्चा करेंगे और शीर्ष रूसी नेतृत्व से भी मुलाकात कर सकते हैं।
व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति प्रमुख विषय
इस बैठक में व्यापार और निवेश के विस्तार, खासतौर पर भारतीय निर्यात को बढ़ावा देकर द्विपक्षीय व्यापार संतुलित करने पर विशेष जोर दिया जाएगा। साथ ही, पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच रूस से भारत को ऊर्जा आपूर्ति बनाए रखने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी बातचीत होगी।
56 अरब डॉलर तक द्विपक्षीय व्यापार
भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार वर्तमान में लगभग 66 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, लेकिन यह रूस के पक्ष में झुका हुआ है, क्योंकि 2022 से भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की भारी खरीद की गई है। भारत लंबे समय से रूस से अधिक व्यापारिक पहुंच की मांग कर रहा है ताकि व्यापार संतुलित किया जा सके। दोनों देशों ने 2030 तक 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प लिया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक परिदृश्य पर चर्चा
इस यात्रा के दौरान रूस यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के हालिया प्रयासों पर भारत को जानकारी देगा। यह वार्ता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रति नरम रुख और यूरोप को दी जाने वाली सुरक्षा गारंटियों से अमेरिका के पीछे हटने की पृष्ठभूमि में हो रही है। यूरोपीय देशों ने रूस के तेल निर्यात को रोकने के लिए प्रतिबंधों को कड़ा कर दिया है, जिससे रूस की वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित हो रही है। हाल ही में, रूस के ‘शैडो फ्लीट’ पर नए प्रतिबंधों ने उसकी तेल आपूर्ति क्षमता को और सीमित कर दिया है।
भारत-रूस संबंधों को नई दिशा
विदेश सचिव की यह यात्रा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और व्यापारिक संतुलन बनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगी। साथ ही, भारत और रूस वैश्विक चुनौतियों और यूक्रेन युद्ध के भविष्य पर आपसी दृष्टिकोण साझा करेंगे। बता दें कि भारत और रूस के बीच लंबे समय से मजबूत रक्षा, व्यापार और ऊर्जा सहयोग रहा है, और यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभा सकती है।