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लोकसभा में न्यू इनकम टैक्स बिल किया गया पेश, जानिए आम जनता के लिए क्या बदलेगा

नई दिल्ली

केंद्र सरकार ने नया इनकम टैक्स बिल 2025 लोकसभा में पेश कर दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को इस बिल को पेश करते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से निवेदन किया कि वे इसे सेलेक्ट कमेटी को भेज दें. विपक्षी दलों ने नया इनकम टैक्स बिल पेश किए जाने का विरोध किया, लेकिन सदन ने बिल पेश करने के सरकार के प्रस्ताव को वॉयस वोट से पास कर दिया. नया इनकम टैक्स बिल पुराने इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की जगह लेगा और इसके जरिये टैक्स से जुड़े पुराने नियमों और परिभाषाओं में कई अहम बदलाव भी किए जाएंगे.

समीक्षा के लिए सेलेक्ट कमेटी में जाएगा बिल

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा स्पीकर से आग्रह किया कि इस बिल (New Income Tax Bill 2025) को रिव्यू करने के लिए एक सेलेक्ट कमेटी बनाई जाए. यह सेलेक्ट कमेटी नए बिल के प्रावधानों को पढ़ने-समझने और उनकी समीक्षा के बाद अपनी तरफ से जरूरी सुझाव देगी. समिति का उद्देश्य नए बिल के तमाम पहलुओं पर विचार करके उसे और असरदार बनाना होगा और यह लोकसभा के अगले सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगी.

टैक्स टर्मिनोलॉजी में बड़े बदलाव

नए इनकम टैक्स बिल को पेश करने का मुख्य मकसद टैक्स कानूनों को आसान और आधुनिक बनाना है. इसमें कई पुराने शब्दों को बदलकर नए शब्द शामिल किए गए हैं, जिससे टैक्सपेयर्स के लिए नियमों को समझना आसान होगा. मिसाल के तौर पर आकलन वर्ष यानी "असेसमेंट इयर" (Assessment Year) और "पिछले वर्ष" (Previous Year) की जगह अब "टैक्स इयर" (Tax Year) शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा. इससे टैक्सपेयर्स को अपने वित्त वर्ष और आकलन वर्ष के बीच के अंतर को समझने में आसानी होगी. इसी तरह नए बिल में "वर्चुअल डिजिटल एसेट" और "इलेक्ट्रॉनिक मोड" जैसी नई शब्दावली (Terminology) जोड़ी गई हैं, जिससे डिजिटल ट्रांजैक्शन और क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े प्रावधानों को बेहतर ढंह से समझा जा सकेगा.

टोटल इनकम की परिभाषा में सुधार

बिल में टोटल इनकम और टैक्सेबल इनकम की परिभाषा को ज्यादा स्पष्ट किया गया है. पुराने कानून में भारतीय निवासियों की ग्लोबल इनकम पर टैक्स लगता था, जबकि गैर-निवासियों पर केवल भारत में हुई कमाई पर ही टैक्स लगाया जाता था. नए बिल में भी यह नियम बरकरार रखा गया है लेकिन "डीम्ड इनकम" यानी संभावित आय की स्पष्ट परिभाषा दी गई है. इसमें कुछ खास व्यक्तियों को किए गए भुगतान को भी टैक्सेबल इनकम में शामिल किया गया है. इससे टैक्सपेयर्स और विदेशी कंपनियों के लिए नियम ज्यादा ट्रांसपेरेंट हो जाएंगे.

डिडक्शन और छूट के नियमों में बदलाव

नए बिल में टैक्स छूट और कटौतियों (deductions and exemptions) को बेहतर ढंग से पेश किया गया है. पहले इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 के सेक्शन 10 और 80C से 80U के तहत अलग-अलग तरह के टैक्स डिडक्शन और एग्जम्प्शन मौजूद थे. नए इनकम टैक्स बिल में इन सभी को सेक्शन 11 से 154 के तहत रखा गया है और कुछ नई प्रावधान जोड़े गए हैं. यह नए प्रावधान स्टार्टअप, डिजिटल बिजनेस और रिन्यूएबल एनर्जी (renewable energy) से जुड़े निवेश को बढ़ावा देने के लिए लाए जा रहे हैं.

कैपिटल गेन्स टैक्स में बदलाव

कैपिटल गेन्स टैक्स के सेक्शन्स में भी कुछ बदलाव लाए गए हैं. पुराने कानून के तहत कैपिटल गेन्स टैक्स को सेक्शन 45 से सेक्शन 55A के तहत रखा गया था और यह टैक्स, निवेश की अलग-अलग अवधि के आधार पर शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म में बंटा था. साथ ही सिक्योरिटीज या इक्विटी के लिए टैक्स की खास दरें लागू थीं. नए बिल में भी क्लॉज 67 से 91 के तहत यह कैटेगराइजेशन बरकरार रखा गया है, लेकिन वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के लिए अलग से स्पष्ट नियम जोड़े गए हैं. माना जा रहा है कि इससे क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल एसेट्स पर टैक्स लगाने की प्रक्रिया ज्यादा ट्रांसपेरेंट हो जाएगी.

नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन्स के लिए नए नियम

नए बिल में नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन्स (non-profit organizations) के लिए भी टैक्स से जुड़े नियमों में कुछ बदलाव किए गए हैं. पुराने इनकम टैक्स एक्ट में सेक्शन 11 से 13 के तहत कुछ विशेष कामों के लिए टैक्स में छूट मिलती थी, लेकिन कंप्लायंस के नियम साफ नहीं थे. नए बिल में सेक्शन 332 से 355 के तहत इन संगठनों के लिए टैक्स छूट की परिभाषा को साफ किया गया है. साथ ही इसमें यह भी तय किया गया है कि नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन्स किन शर्तों के तहत बिजनेस एक्टिविटी में शामिल हो सकते हैं और उन्हें टैक्स में छूट कैसे मिलेगी. सरकार का मानना है कि नए टैक्स बिल के जरिये पेश किए जा रहे इन बदलावों से टैक्स से जुड़े नियम आसान होंगे और टैक्स सिस्टम को ज्यादा असरदार बनाया जा सकेगा.

नए आयकर कानून में मूल्यांकन वर्ष की अवधारणा होगी समाप्त

एक बार कानून बनने के बाद आयकर विधेयक 2025 छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा। पहले का कानून समय के साथ और विभिन्न संशोधनों के बाद काफी जटिल हो गया है, इसलिए इसकी जगह नया आयकर विधेयक लाया जा रहा है। सरकार की ओर से प्रस्तावित नए कानून में, आयकर अधिनियम, 1961 में उल्लिखित ‘पिछले वर्ष’ (FY) शब्द को बदलकर ‘कर वर्ष’ कर दिया गया है। इसके साथ ही, मूल्यांकन वर्ष (AY) की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है।

नए कानून में कर निर्धारण वर्ष की अवधारणा होगी समाप्त

वर्तमान में, पिछले वर्ष (2023-24) में अर्जित आय के लिए, कर का भुगतान निर्धारण वर्ष (2024-25) में किया जाता है। इस नये विधेयक में पिछले वर्ष और निर्धारण वर्ष की अवधारणा को हटा दिया गया है और सरलीकृत विधेयक में केवल कर वर्ष की बात कही गई है। आयकर विधेयक, 2025 में 536 धाराएं शामिल हैं, जो वर्तमान आयकर अधिनियम, 1961 के 298 धाराओं से अधिक हैं। मौजूदा कानून में 14 अनुसूचियां हैं जो नए कानून में बढ़कर 16 हो जाएंगी।

पिछले छह दशकों में पुराने आयकर कानून में हुए हैं कई बदलाव

हालांकि, नए आयकर विधेयक में भी वर्तमान कानून की तरह ही अध्यायों की संख्या 23 ही रखी गई है। जबकि पृष्ठों की संख्या काफी कम होकर 622 हो गई है, जो वर्तमान के भारी-भरकम अधिनियम का लगभग आधा है। वर्तमान में जो कानून अमल में है, उसमें पिछले छह दशकों के दौरान किए गए संशोधन शामिल हैं। जब आयकर अधिनियम, 1961 लाया गया था, तो इसमें 880 पृष्ठ थे।

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