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“ओपिनियन” गेम चालू आहे…..

Election Live/ चुनावी रणभेरी बजते ही न्यूज़ चैनलो का ओपिनियन गेम (पोल) भी शुरू हो गया | सबसे बड़े सूबे यू0 पी0 में तो अभी बी0 जे0 पी0 का सी0 एम0 कंडिडेट भी तय नहीं | नोट बंदी में भी तरह-तरह की दलीलें चल रही है | पर उसे पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली पार्टी भी तय कर दिया गया | दो से तीन सप्ताह के बीच कुछ हज़ार लोगो से हुई बात के बाद 403 विधायकों के भविष्य का फैसला भी हो गया | हर किसी के गले ये बात नहीं उतर रही | सपा व् बसपा को छोड़ दें तो अभी प्रदेश के मतदाताओं को यह तक नहीं पता की मुख्यमंत्री के चेहरे लायक लोगों में कौन उन्हें लुभा पा रहा है | कांग्रेस ने भी शीला दिक्षित को ज़रूर अभी अपने मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत किया है किन्तु ये पार्टी भी अब तक गठबंधन के भंवर जाल में उलझी हुई है |

यह तो हुई मुख्यमंत्री के चेहरे की बात | अब तक तो किसी भी प्रमुख रजनीतिक दल ने अपने प्रत्याशियों की सूची तक नहीं जारी की | किस पार्टी का कौन सा प्रत्याशी कैसी छवि वाला है, भी लोग नहीं जानते | तो ऐसी दशा में चुनावी सर्वेक्षण कितने असर वाले होंगे इसे कोई भी व्यक्ति आसानी से समझ सकता है | जबकि पिछले चुनावों के कई सर्वे, परिणाम आने पर पूरी तरह बेमानी साबित हो चुके हैं |

वर्ष 2012 के चुनाव को ही ले लें तो कोई भी चैनल यह नहीं जानता था कि समाजवादी पार्टी प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनाएगी | यही हाल बिहार में नितीश कुमार व् दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल की सरकार बनने के वक़्त भी हुआ | टी वी के बहुतेरे दर्शक तो बुधवार शाम यह जानकर ही हैरान रह गए कि चुनाव तिथियां घोषित होने वाले दिन ही कुछ न्यूज़ चैनल ओपिनियन पोल बताने लगे | इस पर भी जानता के बीच इसके कारणों को लेकर कयास लगाए जाते रहे | बहुतेरों ने कहा कम से कम मुख्यमंत्रियों के चेहरे व् दलों के प्रत्याशियों के नाम सामने आने तक सब्र रखना चाहिए था | लेकिन टी आर पी की रेस में कोई दूसरा चैनल बाज़ी न मार लें जाये इसके चक्कर में कम से कम जन भावनाओं का आदर तो करना ही चाहिए |

यदि ऐसा ही चलता रहा तो पार्टियों कि बात तो छोड़िये टी वी देखने वालों या अखबार पढ़ने वालों का भरोसा ही ओपिनियन पोल से टूट जायेगा | अब ज़रूरत हैं जनता का भरोसा जीतने का तो उम्मीदवारों के ऐलान के लगभग सप्ताह भर बाद सभी विधानसभा क्षेत्रों के निर्णायक इलाकों का सर्वे ज़रूरी हो जाता हैं | किसी दल विशेष से बंधे व्यक्ति कि जगह निष्पक्ष मतदाता व् खासकर युवा वर्ग कि राय ही कोई सार्थक व् गोपनीय पोल बता पायेगी |

सुधीर निगम
रेजिडेंट एडिटर

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