नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर सभी को बधाई दी। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि विज्ञान के प्रति उत्साहपूर्ण भाव रखने वाले लोगों, विशेषकर हमारे युवा अन्वेषकों को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की बधाई। आइए विज्ञान और नवाचार को लोकप्रिय बनाते की दिशा में कार्य करते रहे और एक विकसित भारत के निर्माण के लिए विज्ञान का लाभ उठाते रहें। इस महीने के मन की बात के दौरान, 'एक वैज्ञानिक के रूप में एक दिन' कार्य करने के बारे में बात की थी जहां युवा किसी न किसी वैज्ञानिक गतिविधि में भाग लेते हैं।
इससे पहले 23 फरवरी को मन की बात के अपने 119वें एपिसोड में पीएम मोदी ने कहा था कि वह बच्चों और युवाओं में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा पैदा करेंगे। आने वाले दिनों में हम राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाएंगे। हमारे बच्चों और युवाओं की विज्ञान में रुचि और जुनून बहुत मायने रखता है। इसके लिए मेरे पास एक विचार है, जिसे आप 'वन डे एज ए साइंटिस्ट' कह सकते हैं। यानी आपको एक दिन वैज्ञानिक के तौर पर बिताने की कोशिश करनी चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा कि आप अपनी सुविधा और पसंद के हिसाब से कोई भी दिन चुन सकते हैं। उस दिन आपको किसी रिसर्च लैब, प्लेनेटेरियम या स्पेस सेंटर में जाना चाहिए। इससे विज्ञान के प्रति आपकी जिज्ञासा बढ़ेगी। बता दें कि 1986 में भारत सरकार ने 'रमन प्रभाव' की खोज की घोषणा के उपलक्ष्य में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित किया।
यह पदार्थ द्वारा प्रकाश के अप्रत्यास्थ प्रकीर्णन को संदर्भित करता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रकीर्णित प्रकाश की आवृत्ति में बदलाव होता है। सरल शब्दों में, यह प्रकाश की तरंगदैर्घ्य में परिवर्तन है जो तब होता है जब प्रकाश किरण अणुओं द्वारा विक्षेपित होती है। रमन प्रभाव रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का आधार बनता है, जिसका उपयोग रसायनज्ञों और भौतिकविदों द्वारा पदार्थों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है। स्पेक्ट्रोस्कोपी पदार्थ और विद्युत चुम्बकीय विकिरण के बीच परस्पर क्रिया का अध्ययन है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस रोजमर्रा की जिंदगी में विज्ञान के महत्व को बढ़ावा देने और मानवता की बेहतरी के लिए वैज्ञानिक क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। इस उत्सव का उद्देश्य मुद्दों को संबोधित करना, नवीन तकनीकों को पेश करना और विज्ञान में विकास को बढ़ावा देना है। यह भारत में वैज्ञानिक सोच वाले व्यक्तियों के लिए एक मंच प्रदान करता है,जो जनता के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित और लोकप्रिय बनाता है।
बच्चों व युवाओं को विज्ञान-तकनीकी शिक्षा से जोड़ना होगा
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकटरामन की खोज रामन प्रभाव को समर्पित है. वर्ष 1928 में उन्होंने प्रकाश किरण के फैलने की एक घटना ‘रामन प्रभाव’ की खोज की थी. दो वर्ष बाद 1930 में इस खोज के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर युवाओं को विज्ञान में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है.
इस वर्ष का राष्ट्रीय विज्ञान दिवस इसलिए भी खास है, क्योंकि एआइ (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के प्रोत्साहन और विजन से विकसित भारत, 2047 के अंतर्गत युवाओं को विज्ञान शिक्षा के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इस बार विज्ञान दिवस का विषय है- विकसित भारत के लिए विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व के लिए भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना. इसके तहत बच्चों और युवाओं को विज्ञान व तकनीकी शिक्षा की ओर उन्मुख करना जरूरी होगा. वर्ष 2023 में अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की गयी, जिसका उद्देश्य वैश्विक वैज्ञानिक और तकनीकी उत्कृष्टता हासिल करने के लिए युवाओं को अनुसंधान और नवाचार के लिए प्रेरित करना है. इसके तहत युवा शोधकर्ताओं को विज्ञान व प्रौद्योगिकी संस्थान में शोध करियर प्रारंभ करने में मदद के लिए प्रधानमंत्री प्रारंभिक करियर अनुसंधान अनुदान (पीएम इसीआरजी) कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. वैश्विक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सूचकांक में भारत की रैंकिंग लगातार सुधर रही है. ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स, 2024 में शीर्ष नवोन्मेषी अर्थव्यवस्थाओं में भारत ने 39वां स्थान हासिल किया है.
डब्ल्यूआइपीओ रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत बौद्धिक संपदा फाइलिंग के मामले में छठे स्थान पर है. नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स, 2024 में भारत 49 वें स्थान पर पहुंच गया, जबकि 2019 में वह 79वें स्थान पर था. यह इंडेक्स विश्व की 133 अर्थव्यवस्थाओं में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और प्रभाव पर अग्रणी वैश्विक सूचकांकों में एक है. देश में ‘इंस्पायर कार्यक्रम’ नाम से योजना चलायी जा रही है, जिसका उद्देश्य बुनियादी व प्राकृतिक विज्ञान का अध्ययन करने के लिए मेधावी युवाओं को आकर्षित करना है. वर्ष 2024 में करीब 38,000 इंस्पायर स्कॉलर्स, फेलो और फैकल्टी फेलो को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में चुना गया. विदेश में रह रहे भारतीय वैज्ञानिकों के लिए वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) फेलोशिप कार्यक्रम शुरू किया गया है. विज्ञान और अभियांत्रिकी में महिलाओं की भागीदारी के लिए किरण योजना और अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में अनुसंधान प्रशिक्षण के लिए महिला अंतरराष्ट्रीय अनुदान सहायता जैसे कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत विश्व के शीर्ष देशों में है. चंद्रयान और आदित्य-एल1 मिशन के बाद इस साल व्योममित्र नामक महिला रोबोट गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री जैसे कार्य करेगी.
वर्ष 2026 में पहला मानवयुक्त गगनयान मिशन शुरू होगा, जबकि 2035 में भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन भारत अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करने और 2047 में चंद्रमा पर पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री उतारने का लक्ष्य है. इसरो एक बार में 104 उपग्रह प्रक्षेपित करने का रिकॉर्ड बना चुका है और पिछले 10 साल में 460 उपग्रह प्रक्षेपित किये गये हैं. भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा अर्जक के रूप में उभरा है. विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से अर्जित 22 करोड़ यूरो में से 18.7 करोड़ यूरो पिछले आठ वर्षों में अर्जित किये गये हैं. आज अंतरिक्ष क्षेत्र के स्टार्टअप 300 से अधिक हैं, जो चार वर्ष पूर्व तीन-चार ही हुआ करते थे.
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के साथ एआइ एक्शन शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करते हुए कहा कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और बहुत-सी चीजों को बेहतर बना कर लाखों लोगों का जीवन बदलने में मदद कर सकता है… ऐसा करने के लिए, हमें संसाधनों और प्रतिभाओं को एक साथ लाना होगा.’ अनुमानत: 2035 तक एआइ क्षेत्र के जरिये देश की कुल जीडीपी में एक ट्रिलियन डॉलर का इजाफा होगा. एआइ की मदद से आज किसान अपनी भाषा में खेती से जुड़े सवालों के जवाब पा रहे हैं.
विज्ञान की इन ऊंचाइयों के साथ हमें धरातल की उन सच्चाइयों पर भी गौर करना होगा, जिसमें बच्चा विज्ञान की शिक्षा से दूर हो रहा है. हालांकि किसी पर विज्ञान थोपना आवश्यक नहीं, क्योंकि देश को अर्थशास्त्री, इतिहासकार, संगीतज्ञ और कलाकार भी चाहिए, परंतु विज्ञान की शिक्षा कब ट्यूशन और कोचिंग से मुक्त हो पायेगी और कब विज्ञान और गणित का भय एक सामान्य बच्चे के जेहन से दूर हो पायेगा, यह एक यक्ष प्रश्न है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में विज्ञान व अन्य विषयों में रटने की प्रवृत्ति खत्म कर योग्यता-आधारित शिक्षा दी जा रही है. तर्क, विश्लेषण-क्षमता और विभिन्न परिस्थितियों में ज्ञानोपयोग के तहत निर्णय लेने की क्षमता के आकलन पर कार्य होने लगा है. पुरानी घिसी-पिटी आकलन विधियों को नयी विधियों से चरणबद्ध तरीके से बदला जा रहा है. जो बच्चे विज्ञान के न्यूमेरिकल और गणित के सूत्रों से डरते थे और जिनके पास महंगी कोचिंग के लिए धन नहीं है, वे यूट्यूब के शिक्षकों के सहयोग से विज्ञान और गणित में आगे बढ़ रहे हैं. हालांकि स्कूली शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाएं अब भी कोचिंग और ट्यूशन के मकड़जाल में फंसी है, जो धीरे-धीरे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के नये मानकों के साथ संभवतः सही होगी.