असम
असम की हिमंता बिस्वा सरमा सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है। राज्य सरकार ने उन क्षेत्रों में रहने वाले असम के मूल निवासियों और स्वदेशी समुदायों को हथियारों के लाइसेंस देने का निर्णय लिया है जो बांग्लादेश सीमा से सटे हुए हैं या जिन्हें संवेदनशील माना जा रहा है। यह फैसला असम कैबिनेट की बैठक में लिया गया और इसे मुख्यमंत्री ने "व्यक्तिगत सुरक्षा और सामाजिक साहस को बढ़ाने वाला" कदम बताया है।
आखिर क्यों उठाया गया यह कदम?
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के अनुसार, सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोग कई वर्षों से हथियारों के लाइसेंस की मांग कर रहे थे। बांग्लादेश के हालिया हालात और राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे अवैध प्रवासियों के खिलाफ अभियान ने इन समुदायों में असुरक्षा की भावना को और गहरा कर दिया है।मुख्यमंत्री ने कहा, “इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अक्सर अपने ही गांवों या सीमा पार से खतरों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए राज्य सरकार ने उन्हें आत्मरक्षा के लिए सशक्त करने का निर्णय लिया है।”
योजना की मुख्य बातें:
लाइसेंस उन लोगों को दिए जाएंगे जो असम के मूल निवासी और स्वदेशी समुदाय से हैं।
स्कीम उन जिलों में लागू होगी जो सीमावर्ती और संवेदनशील माने जाते हैं: जैसे धुबरी, मोरीगांव, बारपेटा, नागांव, दक्षिण सलमारा-मनकचर, रूपाही, ढिंग और जानिया।
योजना पूरे राज्य में लागू की जाएगी; इच्छुक नागरिक आवेदन कर सकते हैं।
सरकार पात्र लोगों को लाइसेंस देने में "लचीलापन" बरतेगी।
क्या कहता है भारतीय कानून?
भारत में हथियार रखने के लिए अनुमति आर्म्स एक्ट 1959 के तहत दी जाती है। यह कानून हथियारों के उत्पादन, खरीद, बिक्री और लाइसेंस प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
दो प्रकार के हथियार:
निषिद्ध बोर :
इनका प्रयोग सेना व अर्धसैनिक बल करते हैं। इसका लाइसेंस केवल गृह मंत्रालय जारी करता है।
गैर-निषिद्ध बोर:
आम नागरिकों को आत्मरक्षा हेतु दिए जा सकते हैं। इसका लाइसेंस ज़िला प्रशासन या राज्य सरकार देती है।
लाइसेंस के लिए पात्रता:
उम्र 21 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
व्यक्ति पर हिंसा संबंधी आपराधिक मुकदमा नहीं होना चाहिए।
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना ज़रूरी है।
शांति भंग के लिए कभी कोई बॉन्ड न भरवाया गया हो।
राजनीतिक संकेत और आलोचना
सीएम सरमा ने अपने बयान में यह भी इशारा किया कि अगर पूर्ववर्ती सरकारें समय पर लोगों को सुरक्षा देतीं, तो कई परिवारों को अपनी जमीनें छोड़कर भागना न पड़ता। उन्होंने सीधे तौर पर बंगाली-मुस्लिम मूल के कथित अवैध विदेशियों के अतिक्रमण का जिक्र करते हुए कहा कि हथियारों की अनुमति मिलने से स्वदेशी आबादी अपनी सुरक्षा खुद कर सकेगी।