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भड़काऊ भाषणों पर भी नियंत्रण की जरूरत है, अभी फोर्सेज तैनात रहनी चाहिए: कलकत्ता हाई कोर्ट

कोलकाता
कलकत्ता हाई कोर्ट का कहना है कि हिंसा प्रभावित पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय बलों की तैनाती अभी बनी रहेगी। अदालत ने गुरुवार को कहा कि अभी फोर्सेज तैनात रहनी चाहिए। इसके अलावा भड़काऊ भाषणों पर भी नियंत्रण की जरूरत है। अदालत ने कहा कि वक्फ संशोधन ऐक्ट के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान भड़काऊ भाषण न दिए जाएं, जिनसे हिंसा भड़कने की आशंका बनी रहती है। इस तरह उच्च न्यायालय ने हिंसा के मामलों में राज्य सरकार को सख्त नसीहत दी है। इसके अलावा अदालत ने माना है कि अब भी मुर्शिदाबाद जिले में हालात सामान्य नहीं हैं। इसलिए केंद्रीय बलों की तैनाती कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए रहनी चाहिए।

मुर्शिदाबाद में वक्फ ऐक्ट के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। इस घटना में कई लोग मारे गए तो वहीं सैकड़ों परिवारों को पलायन करना पड़ा है। करीब ढाई सौ परिवार पड़ोस के मालदा जिले में पलायन कर गए हैं और वहां कैंपों में गुजर करने को मजबूर हैं। मुर्शिदाबाद के बवाल को लेकर राजनीति भी तेज है। बंगाल का यह जिला सांप्रदायिक लिहाज से संवेदनशील है। यहां से टीएमसी के युसूफ पठान सांसद हैं, जिन्होंने 2024 के चुनाव में अधीर रंजन चौधरी को मात दी थी, जो कांग्रेस से यहां से लगातार जीतते थे। इस बीच सूबे के राज्यपाल सीवी आनंद बोस का कहना है कि वह जमीनी हालात जानने के लिए मुर्शिदाबाद जाएंगे।

उन्होंने कहा, 'मैं जमीनी हालात जानने के लिए मुर्शिदाबाद जा रहा हूं। मैं इस मामले में हर पहलू को देखूंगा। फिलहाल स्थिति कंट्रोल में लाई जा रही है। हमें कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न होने पाएं। मैं निश्चित तौर पर मुर्शिदाबाद जाऊंगा। उस इलाके के लोगों ने अपील की है कि फिलहाल बीएसएफ के जवानों को वहां बने रहने दिया जाए।' बता दें कि ममता बनर्जी का कहना है कि इसमें बीएसएफ और भाजपा के ही लोगों का हाथ है। दरअसल पश्चिम बंगाल में वक्फ ऐक्ट को लेकर भी ममता बनर्जी कह रही हैं कि हम इसे लागू नहीं करेंगे। वहीं भाजपा का कहना है कि ममता बनर्जी के रुख से कट्टरपंथी ताकतों को बढ़ावा मिल रहा है और वे हिंसा कर रही हैं।

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