नई दिल्ली
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के मददगार तुर्की की अब खटिया खड़ी होने लगी है। भारतीयों ने तुर्की बहिष्कार का ऐलान किया है। इसके अलावा भारत सरकार ने तुर्की के साथ सभी तरह के समझौते की समीक्षा शुरू कर दी है। कुछ समझौते तो रद्द भी होने शुरू हो गए हैं। इस बीच, पहली बार एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए तुर्की के साथ हुए अपने सभी समझौतों को रद्द कर दिया है। पंजाब के फगवाड़ा में स्थित लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी ने ऐसा कर दिखाया है। इस यूनिवर्सिटी ने तुर्की और अजरबैजान के साथ सभी समझौता ज्ञापनों को रद्द कर दिया है।
इस यूनिवर्सिटी ने हाल की भू-राजनीतिक घटनाक्रमों का हवाला देते हुए तुर्की और अजरबैजान के संस्थानों के साथ छह शैक्षणिक साझेदारियों को औपचारिक रूप से तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है। एलपीयू के संस्थापक चांसलर और राज्यसभा सांसद डॉ. अशोक कुमार मित्तल ने कहा, “जब हमारे बहादुर सशस्त्र बल अपने जीवन को जोखिम में डाल रहे हैं – चाहे गुप्त ऑपरेशन हो, हवाई रक्षा हो, या हमारी सीमाओं पर गश्त करना हो, तो हम, एक संस्थान के रूप में कैसे उदासीन बने रह सकते हैं।"
बता दें कि सुरक्षा और विमानन से लेकर शिक्षा और व्यापार तक भारत तुर्की के साथ कई क्षेत्रों में संबंध खत्म कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्लामाबाद का समर्थन करने के बाद नई दिल्ली ने अंकारा को सबक सिखाने का प्रण किया है। एक दिन पहले ही नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो ने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में’ तुर्की की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लि. की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी। यह कंपनी देशभर के नौ हवाई अड्डों – मुंबई, दिल्ली, कोचीन, कन्नूर, बेंगलुरु, हैदराबाद, गोवा (जीओएक्स), अहमदाबाद और चेन्नई में सेवाएं प्रदान करती थी। इसके बाद इस सभी हवाई अड्डों ने सेलेबी के साथ समझौता रद्द कर दिया है।
AIU ने देशभर के कुलपतियों को पत्र लिखा
गुरुवार को ही एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (AIU) ने देशभर के कुलपतियों को पत्र लिखा है। AIU ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए कुलपतियों से तुर्की, पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ शैक्षणिक संबंध निलंबित करने का आग्रह किया है। इसके अगले ही दिन लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी ऐसा कदम उठाकर देश की पहली प्राइवेट यूनिवर्सिटी बन गई है।
अब तक इन विश्वविद्यालयों ने लिया ऐक्शन
अब तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), जामिया मिलिया इस्लामिया और कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) सहित कई शैक्षणिक संस्थान ऐसा ही कदम उठा चुके हैं। दिल्ली में जामिया मिलिया विश्वविद्यालय ने तुर्की के शैक्षणिक संस्थानों के साथ अपने एमओयू को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है, जबकि जेएनयू ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए ऐसा किया है। जेएनयू ने तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ एमओयू को निलंबित कर दिया है।
तुर्की के पर्यटन स्थलों के बहिष्कार का ऐलान
गुरुवार को ही मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) ने तुर्की के यूनुस एमरे इंस्टीट्यूट के साथ अपने संबंधों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। MANUU के एक बयान में कहा, "यह निर्णय भारत-पाक तनाव की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों के लिए तुर्की के समर्थन के विरोध में लिया गया है।" फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय तुर्की के कॉलेजों के साथ अपने संबंधों की समीक्षा कर रहा है। लोगों ने तुर्की के विमानों और तुर्की के पर्यटन स्थलों का बहिष्कार करने का भी आह्वान किया है। तुर्की एयरलाइन्स के विमान देशभर के 10 हवाई अड्डों से सप्ताह में 56 उड़ान भरते हैं। ये उड़ानें भारतीय यात्रियों को 131 देशों के 352 शहरों तक सेवा पहुंचाती हैं।