Delhi-NCR, State

अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, पांड्या के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा, मुंबई का जांबाज योद्धा जो अकेले लड़ और अड़ रहा

नई दिल्ली
मुंबई इंडियंस बनाम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के बीच सोमवार को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए मैच में हार्दिक पांड्या एक जांबाज योद्धा की तरह खेले। मुंबई का ये कप्तान सबकुछ झोंक दिया। गेंद से कमाल किया। बल्ले से कमाल किया। दोनों ही मोर्चे पर टीम का आगे बढ़कर नेतृत्व किया। लेकिन कहते हैं न कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। पांड्या के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा। अपनी विध्वंसक पारी से टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचाते-पहुंचाते रह गए पांड्या की मायूसी की तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं।

आरसीबी की बल्लेबाजी के दौरान विराट कोहली अपने चिर-परिचित अंदाज में खेल रहे थे। वह मुंबई की गेंदबाजी की बखिया उधेड़ रहे थे। तब पांड्या ने ही उन्हें नमन धीर के हाथों कैच कराकर पवैलियन का रास्ता दिखाया। कोहली ने 42 गेंदों में 67 रन की पारी खेली थी। आरसीबी की तरफ से पांड्या ने ट्रेंट बोल्ट के साथ संयुक्त रूप से सबसे ज्यादा 2 विकेट लिए। आरसीबी ने निर्धारित 20 ओवर में जीत के लिए 222 रन का बड़ा लक्ष्य रखा।

बल्लेबाजी की बारी आई तो पांड्या ने एक बार फिर किसी योद्धा की तरह आगे बढ़कर मोर्चा संभाला। उन्होंने महज 15 गेंदों में 42 रनों की विस्फोटक पारी खेली। 3 चौके और 4 छक्के जड़े। वह जब क्रीज पर थे तो मुंबई इंडियंस को जीत की खुशबू आने लगी थी, लेकिन उनके आउट होते ही मुंबई ही उम्मीदें भी धराशायी हो गई। पांड्या को लेकिन तब भी यकीन था कि जीत मुश्किल तो है पर नामुमकिन नहीं। हार्दिक जब छठे विकेट के तौर पर आउट हुए तब मुंबई को जीतने के लिए 11 गेंदों में 28 रन की जरूरत थी जो असंभव तो कतई नहीं था। 18वें ओवर की 5वीं गेंद पर जब सैंटनर ने छक्का लगाया तो पांड्या का जोश देखने लायक था। लेकिन आखिरी ओवर में खेल पलट गया।

आखिरी ओवर में मुंबई इंडियंस को जीत के लिए 19 रन की जरूरत थी और 4 विकेट हाथ में थे। गेंदबाजी की कमान संभाली हार्दिक पांड्या के भाई क्रुणाल पांड्या ने। पहली ही गेंद पर उन्होंने सैंटनर को सीमा रेखा के एकदम नजदीक कैच आउट करा दिया। आरसीबी में उत्साह की लहर थी। फील्डिंग कर रहे विराट कोहली का जश्न देखने लायक था लेकिन मुंबई खेमे में मायूसी थी। पांड्या के चेहरे पर निराशा थी। रही सही कसर क्रुणाल ने अगली ही गेंद पर दीपक चाहर को आउट करके पूरी कर दी। वह हैट्रिक से तो चूक गए लेकिन आखिरी ओवर में 3 विकेट अपने नाम कर लिए।

मुंबई इंडियंस 10 साल बाद अपने होम ग्राउंड वानखेड़े में आरसीबी के हाथों हार चुकी थी। अकेले किला लड़ाने वाला योद्धा हार्दिक पांड्या निराश था। चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही थी। एक कप्तान के तौर पर, एक गेंदबाज के तौर या एक बल्लेबाज के तौर पर पांड्या ने वह सबकुछ किया, जो एक लीडर को करना चाहिए। फिर भी हार हाथ लगी तो सोचिए उन पर क्या गुजर रही होगी? आखिर अब और क्या करूं? किसको दोष दूं? टीम को या किस्मत को? ऐसे तमाम मनोभाव उनके भीतर डूबते और उतरते होंगे।

पांड्या को टीम का पूरा साथ नहीं मिल पा रहा। कुछ ऐसी ही कहानी लखनऊ के खिलाफ खेले गए मैच में भी थी। पांड्या ने गेंदबाजी में कमाल करते हुए लखनऊ सुपर जॉइंट्स के 5 विकेट अपने नाम किए। 204 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए मुंबई की टीम 5 विकेट पर 191 रन ही बना सकी। हार्दिक पांड्या ने 16 गेंदों में 28 रनों की तेजतर्रार नाबाद पारी खेली लेकिन वह काम नहीं आई। इस सीजन में मुंबई को अबतक 5 मैचों में सिर्फ 1 में जीत मिली है। 4 मैच हार चुकी है और पॉइंट टेबल में मुंबई इंडियंस काफी नीचे 8वें नंबर पर है।

इस सीजन में हार्दिक पांड्या ने दिखाया कि वह कितने बड़े योद्धा हैं, योद्धा निराश हो सकता है, मगर हताश नहीं। हार सकता है लेकिन टूट नहीं सकता। बस जरूरत है तो टीम के साथ की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *