भोपाल
एमपी के भोपाल जिले में एक सोलर गांव विकसित किया जाएगा। पूरे गांव की बिजली जरूरत सौर ऊर्जा से ही पूरी की जाएगी। कलेक्टर ने इसके लिए जिला पंचायत समेत संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं। इसके लिए लीड बैंक को फायनेंस करने का कहा है। अगले पंद्रह दिन में गांव का चयन कर यहां के लिए काम शुरू किया जाएगा। भोपाल में भी इस समय 32 हजार से अधिक सोलर पैनल स्थापित है। ये 1.92 लाख किलोवॉट के प्लांट है। रोजाना इनसे 7.68 लाख यूनिट बिजली बन रही है।
शहर की जरूरत का ये 13 फीसदी है। माह में ये 2.30 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भोपाल निगम को 25 हजार प्लांट स्थापित करने व करीब 900 मेगावाट सोलर से उत्पादित करने का लक्ष्य दिया था।
सरकारी छतें ही रोजाना बना दें 35 हजार यूनिट बिजली
● भवन नगर निगम के 93 भवन शहर में है। 20 किलोवॉट प्रति छत प्लांट लगाएं तो 1800 किलोवॉट के प्लांट से रोजाना 7200 यूनिट बिजली रोजाना बन सकती है। माह में 2.16 लाख यूनिट बिजली उत्पादित होगी जो निगम की एक माह के बिजली खर्च के बराबर है।
● जिला प्रशासन के 40 विभागों के 75 भवन है। 20 किलोवॉट प्रति छत प्लांट लगाएं तो 1500 किलोवॉट के प्लांट से 6000 यूनिट बिजली रोजाना उत्पादित हो सकती है। माह में ये 1.80 लाख यूनिट रहेगी। इन भवनों की बिजली खपत को पूरा करने के साथ अतिरिक्त 20 फीसदी अन्य को देने की स्थिति बनेगी।
● बिजली कंपनी के शहर में 35 कार्यालय है। 20 किलोवॉट प्रति छत के अनुसार 700 किलोवॉट के प्लांट से रोजाना 2800 यूनिट बिजली उत्पादित की जा सकेगी। माह में ये 8400 यूनिट बनेगी। इन कार्यालयों का मासिक खर्च 9000 यूनिट है।
सोलर ग्राम के लिए निर्देश दिए हैं। भोपाल सोलर सिटी को लेकर निगम समेत संबंधित विभागों से प्लान तय कराया जाएगा। कौशलेंद्र विक्रमसिंह, कलेक्टर