जालंधर
जालंधर जिले में सम्पत्ति खरीदने और रजिस्ट्री कराने की तैयारी कर रहे लोगों के लिए बड़ी खबर है। जिला कलैक्टर-कम-डिप्टी कमिश्नर डॉ. हिमांशु अग्रवाल ने आज जिले के नए कलैक्टर रेटों की सभी प्रस्तावित दरों को अप्रूवल दे दी है, जिसके चलते अब 21 मई से जिले की सभी तहसीलों और सब-तहसीलों में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री केवल नए कलैक्टर रेटों के आधार पर ही होगी।
जिले में नए कलेक्टर रेट में 10 प्रतिशत से लेकर 103 प्रतिशत तक बढ़ौतरी देखने को मिली है। इससे न सिर्फ प्रॉपर्टी की खरीद बिक्री महंगी हो गई है, बल्कि लोगों को स्टांप ड्यूटी के रूप में ज्यादा रकम अदा करनी पड़ेगी। अब शहर में मॉडल टाऊन से महंगी प्रॉपर्टी अब पुडा स्पोर्ट्स काम्प्लैक्स (पुरानी जेल साइट) की हो गई है, यहां कमर्शियल प्रापर्टी के रेट 32 लाख रुपए और रिहायशी प्रॉपर्टी के रेट 12.70 लाख रुपए प्रति मरला होगे जबकि मॉडल टाऊन में कमर्शियल प्रॉपर्टी के नए कलैक्टर रेट को 15 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए और रिहायशी प्रॉपर्टी को 9.20 लाख से बढ़ाकर 12 लाख रुपए मरला किया गया है। इसी तरह से मंडी रोड प्रताप बाग में कमर्शियल प्रॉपर्टी 15.50 लाख रुपए मरला और रैजिडैंट प्रॉपर्टी 5.50 रुपए मरला होगी। शहर के पुराने इलाके गुरु बाजार में कमर्शियल प्रॉपर्टी 14 लाख और रैजिडैंशियल 4 लाख रुपए मरला की गई है जबकि कपूरथला रोड में कमर्शियल प्रॉपर्टी 14 लाख और रैजीडैंशल प्रॉपर्टी 7 रुपए मरला होगी। मोहल्ला इस्लामगंज में कमर्शियल प्रॉपर्टी 13.30 लाख रुपए और रैजिडैंशियल प्रॉपर्टी 5.70 लाख मरला की गई है।
वहीं, देहात इलाकों की बात करें तो बादशाहपुर में जहां रैजिडैंशियल प्रॉपर्टी 60 हजार रुपए मरला थी उसे 100 प्रतिशत बढ़ाकर 1.20 लाख रुपए मरला किया गया है। चक्क जिंदा व पश्चिम विहार कालोनी में 60 हजार रुपए से 103 प्रतिशत कलैक्टर रेट बढ़ाकर 1.40 रुपए और गदाईपुर इंडस्ट्रीयल जोन में एग्रीकल्चर लैंड को 38.90 लाख रुपए एकड़ से 80 प्रतिशत बढ़ाकर 70 लाख रुपए एकड़ किया गया है। उल्लेखनीय है कि ‘पंजाब केसरी’ ने पहले ही 19 मई को इस बात का खुलासा कर दिया था कि 21 मई से जिले में नए कलैक्टर रेट लागू कर दिए जाएंगे, जिससे लोगों को कुछ हद तक तैयारी का समय जरूर मिला लेकिन सरकार की ओर से कोई सार्वजनिक सूचना या विस्तृत अधिसूचना समय रहते नहीं दी गई, जिस कारण अनेकों लोगों को 20 मई को ही रजिस्ट्री न करवा पाने का मलाल रहेगा।
एन.जी.डी.आर.एस. पोर्टल पर नए कलैक्टर रेट को अपलोड करने का काम रात 1.30 तक रहा जारी
डिप्टी कमिश्नर की मंजूरी मिलते ही जिला की सभी तहसीलों और सब-तहसीलों के रजिस्ट्री क्लर्कों और अन्य संबंधित कर्मचारियों ने कमर कस ली । सबसे पहले नए कलैक्टर रेटों को नैशनल जेनरिक डॉक्यूमैंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एन.जी.डी.आर.एस.) पोर्टल पर अपडेट करना शुरू किया गया क्योंकि 21 मई से सभी रजिस्ट्री इसी पोर्टल के माध्यम से ही की जानी हैं, इसलिए सुनिश्चित किया जा रहा है कि नई दरों के अनुसार स्टाम्प ड्यूटी की गणना और प्रक्रिया पूरी तरह से अपडेट हो। सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों में मंगलवार की देर रात तक काम चलता रहा। सब रजिस्ट्रार-1 कार्यालय में रजिस्ट्री क्लर्क जतिंदर सिंह और निखिल बनाल, जबकि सब-रजिस्ट्रार-2 कार्यालय में मनीष शर्मा और अमरीक चंद के अलावा असिस्टेंट सिस्टम मैनेजर ए.एस.एम. प्रतीक सिंह बेदी व पूरा स्टाफ रात 1:30 बजे तक लगातार काम में जुटा रहा।
आम जनता के लिए घर बनाना हुआ महंगा
नई कलैक्टर दरों के लागू होने का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा। स्टाम्प ड्यूटी की गणना सम्पत्ति के कलैक्टर रेट के अनुसार की जाती है, ऐसे में जिले के हरेक क्षेत्र में कलैक्टर रेट में वृद्धि हुई है, वहां प्रॉपर्टी रजिस्ट्री की लागत भी बढ़ेगी। इससे उन लोगों को विशेष रूप से नुकसान होगा, जिन्होंने पहले कम रेट पर रजिस्ट्री की योजना बनाई थी, लेकिन दस्तावेज तैयार करने या कोई अन्य प्रक्रिया के कारण समय पर रजिस्ट्री नहीं करा सके हैं। हालांकि प्रशासन का कहना है कि कलैक्टर रेट में संशोधन एक नियमित प्रक्रिया है और यह बाजार दरों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए किया जाता है। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि नए कलैक्टर रेट बाजार में चल रही संपत्ति कीमतों के औसत आकलन के आधार पर तय किए गए हैं। इससे रियल एस्टेट बाजार में पारदर्शिता आएगी और सरकारी खजाने को भी अतिरिक्त आय प्राप्त होगी।
आखिर क्या है एन.जी.डी.आर.एस. पोर्टल की महत्ता
एन.जी.डी.आर.एस. केंद्र सरकार द्वारा विकसित एक ऑनलाइन पोर्टल है, जिसके माध्यम से प्रॉपर्टी रजिस्ट्री की प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाया गया है। अब रजिस्ट्री के लिए जरूरी सभी दस्तावेज इसी पोर्टल के जरिए अपलोड होते हैं और कलैक्टर रेट, स्टाम्प ड्यूटी की गणना भी स्वतः इसी पर आधारित होती है। इस सिस्टम में नए कलैक्टर रेट को अपलोड करने दौरान किसी भी गड़बड़ी या देरी से न केवल लोगों को परेशानी हो सकती है बल्कि पूरी रजिस्ट्री प्रक्रिया भी बाधित हो सकती है।