- मेदांता हॉस्पिटल में बच्चों के दिल का मिलेगा समग्र इलाज, नवजात शिशु के दिल की हो रही सर्जरी
- मेदांता हॉस्पिटल में दिल की बीमारी से जूझ रहे बच्चों को मिल रही सर्वोत्तम सुविधा
- जन्म के एक घंटे से लेकर 18 वर्ष के युवा के दिल की सर्जरी के लिए मौजूद है अत्याधुनिक संसाधन
- मेदांता हॉस्पिटल में एक महीने तक के नवजात एवं उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए हैं अलग-अलग आईसीयू
TIL Desk लखनऊ: मेदांता सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में जन्मजात दिल की बीमारियों से जूझ रहे बच्चों को समग्र व संपूर्ण इलाज मिलेगा। इसमें पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी (बच्चों के दिल की सर्जरी), पीडियाट्रिक आईसीयू नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई (नियोनेटल आईसीयू) और पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी (बच्चों के दिल का इलाज) जैसी सुविधाएं शामिल हैं। इस एकीकृत यूनिट के संचालन वाला यह प्रदेश का पहला अस्पताल है। अब प्रदेश से दिल की बीमारी वाले बच्चों को लेकर परिजनों को हजारों किलोमीटर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
मेदांता सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी के निदेशक डॉ. गौरांग मजूमदार ने बताया कि प्रदेश में हर साल 50 हजार बच्चे कॉन्जेनाइटल हार्ट डिजीज (जन्मजात हृदय रोग) के साथ जन्म लेते हैं। जिनमें 10 हजार बच्चों को तत्काल दिल के सर्जरी की दरकार होती है। इसमें नवजात को दिल की धमनियों में अवरोध (हार्ट ब्लॉक), दिल में छेद, धड़कन तेज होना, जन्म के समय शरीर नीला पड़ना (ब्लू बेबी सिंड्रोम, साइनोसिस), धमनियों का संकरा होना, वाल्व की कमजोरी, धमनियों से रिसाव, धमनियों का ठीक से विकास न होना, मुख्य धमनियों का उल्टा जुड़ना, तेजी से पंप करना, तेजी से सांस लेने के लक्षण होते हैं। ऐसे बच्चों को लेकर परिजन इलाज के लिए सैकड़ों और कभी-कभी हजारों किलोमीटर दूर-दराज के स्थानों पर जाते थे। लंबी यात्रा, गर्मी और थकावट के कारण कई बच्चे रास्ते में ही दम तोड़ देते थे।
विश्व स्तरीय है कार्डियोलॉजी यूनिट:-
अब ऐसे बच्चों को हृदयरोग का इलाज एक ही मेदांता हॉस्पिटल में एक ही छत के नीचे मिलेगा। मेदांता अस्पताल कार्डियक सर्जरी (हृदय शल्य चिकित्सा) में प्रदेश में सर्वोत्कृष्ट है। यहां कार्डियक सर्जरी विभाग की स्थापना 2019 में प्रसिद्ध हृदय शल्य चिकित्सक (कार्डियक सर्जन) डॉ गौरांग मजूमदार ने की। यहां अब तक 3000 से अधिक वयस्क और बच्चों के दिल की सर्जरी हो चुकी है। इस विभाग का विस्तार किया गया है। नवजात बच्चों के हृदय शल्य के लिए विभाग में ही स्पेशल यूनिट बनाई गई है।