इंदौर
इंदौर के स्कीम 54 में बसे पी यू फॉर में नगर निगम द्वारा 31 मई को डायनामाइट लगाकर उड़ाए गए भवन को लेकर निगम महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने अधिकारियों पर सवालिया निशान लगा दिया है. महापौर ने पूरी कार्रवाई की जांच करवाने का हवाला दिया है. साथ ही जोन के भवन अधिकारी की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लगाए हैं.
दरअसल, इंदौर के सी-21 बिजनेस पार्क के पास बने पीयू फॉर स्कीम पर डॉक्टर इजहार मंजूरी का प्लॉट है, जिसे उन्होंने इंदौर विकास प्राधिकरण से खरीदा था. इसे नगर निगम ने अवैध बताकर 30 मई को आगे का हिस्सा तोड़ दिया था. वहीं, अगले दिन चार मंजिला बिल्डिंग में डायनामाइट लगाकर उसे बम से उड़ा दिया था.
तत्काल पद से हटा दिया था भवन अधिकारी को
इस मामले में डॉक्टर इजहार मंजूरी ने क्षेत्र के भवन द्वारा नोटिस देने के बाद पांच लाख रुपए मांगने के आरोप भी लगाए थे, जिसके बाद निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने भवन अधिकारी असित खरे को तत्काल पद से हटा दिया था. अब इस मामले में इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी अधिकारियों की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं.
'जांच कमेटी बनाकर पूरे मामले की जांच की जाएगी'
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि जिस तरह से बिल्डिंग को तोड़ा गया है वह जांच का विषय है. एक व्यक्ति आई डी ए की स्कीम से प्लॉट खरीदता है और अनुमति लेकर भवन बनाता है, यदि भवन के निर्माण अवैध तरीके से किया गया था तो बाधक निर्माण हटाना था, लेकिन पूरे मकान को उड़ा दिया गया जिससे अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं. हमने मकान मालिक से सारे दस्तावेज बुलवाए है, और जांच कमेटी बनाकर पूरे मामले की जांच की जाएगी.
वहीं कांग्रेस नेता अमीनुल सूरी का निगम की कार्रवाई व महापौर पर सवाल उठाते हुए कहा कि इंदौर में डॉ. इजहार मुंशी का घर गिराया नहीं गया, सिस्टम ने अपनी रिश्वतखोरी का परचम लहराया है नक्शा पास, केस हाईकोर्ट में, फिर भी ब्लास्ट? क्योंकि 'रिश्वत' नहीं दी, इसलिए इजहार मुंशी को कार्रवाई के रूप में अवैध बिल्डिंग बताकर विस्फोट कर बिल्डिंग को धराशाई कर दिया, नैतिकता और भाजपाइयों का वास्तव में एक दूसरे से कोई सरोकार तो नहीं हैं.
अमीनुल सूरी ने कहा कि फिर भी मैं महापौर जी से पूछना चाहता हूं. नैतिकता जैसा शब्द उन्होंने सुना है क्या? इंदौर में डॉ. इजहार मुंशी की चार मंज़िला मकान नगर निगम ने ब्लास्ट कर के गिरा दिया. नगर निगम का आरोप है कि मकान नक्शे के विपरीत बनाया गया था, जबकि डॉ. इजहार का कहना है कि नक्शा पास होने के बावजूद नगर निगम के कर्मचारी 10 लाख रुये की रिश्वत मांग रहे थे. कुछ दिन पहले 5 लाख रुपये दिए थे. वह और बाकी बचे पैसे मांग रहे थे. नहीं देने पर घर ब्लास्ट कर उड़ा दिया, जबकि मामला हाई कोर्ट में लंबित है.