लखनऊ डेस्क/ समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस को लेकर अपनी टिप्पणी से एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। मौर्य ने कहा कि रामचरित मानस के कुछ हिस्सों ने एक विशेष वर्ग के लोगों का अपमान किया है और इसे बदला जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं अपमानजनक टिप्पणियों का विरोध करता हूं।”
यहां तक कि उन्होंने रामचरित मानस के कुछ चौपाइयों को उद्धृत करते हुए कहा कि तुलसीदास ने कुछ जातियों का उल्लेख किया है, जो सभी हिंदू धर्म से संबंधित हैं। उन्होंने सवाल किया, “यदि वे सभी जातियां हिंदू धर्म की हैं, तो अपने ही किसी का अपमान करने के पीछे क्या अर्थ है?” एक और चौपाई का हवाला देते हुए मौर्य ने कहा कि तुलसीदास ने भी ‘पशु..तारन के अधिकारी’ वाले एक ही वाक्य में उनका उल्लेख कर समस्त नारी समुदाय का अपमान किया है।
समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा, “बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं, लेकिन जब तुलसीदास ने रामायण लिखी, तो वह महिलाओं और शूद्रों को शिक्षा की अनुमति देने के खिलाफ थे।” मौर्य के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता विनोद बंसल ने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता को पहले एक आश्रम में जाना चाहिए और ग्रंथों को ठीक से समझना चाहिए।
बंसल ने कहा कि जिहाद के नाम पर जो हिंसा फैलाई जा रही है, उस पर ये एक शब्द नहीं बोलते हैं, लेकिन रामचरित मानस को बिना समझे गालियां देने की आदत बना ली है। आजकल हिंदुत्व पर कीचड़ उछालना फैशन बन गया है, लेकिन जनता देख रही है। ऐसी मानसिकता के लोगों को करारा जवाब देगी।
भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि विपक्षी दल के नेता धर्म के नाम पर भारत को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं, लेकिन वे अपनी विभाजनकारी नीतियों को नहीं छोड़ेंगे। विपक्षी नेता केवल अपने वोट बैंक की रक्षा के लिए लोगों को समाज के अन्य वर्गो से दूर रखने की कोशिश कर रहे हैं।”