जयपुर
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह ने कहा कि वर्तमान में गडरा रोड़ उप-शाखा का नहर निर्माण कार्य बन्द है। इन्दिरा गांधी नहर परियोजना में सिंचाई हेतु पानी की कमी के कारण नहर निर्माण के मात्र प्रगतिधीन कार्यों को ही पूर्ण करने की अनुमति राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2005 में दी गई। जिससे इंदिरा गांधी नहर परियोजना का सिंचित क्षेत्र सीमित हो गया। इस कारण गडरा रोड़ उप-शाखा के 92.05 किमी तक का ही कार्य पूर्ण हो सका। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गुरुवार को प्रश्नकाल में इस संबंध में सदस्य द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्नों का इन्दिरा गांधी नहर मंत्री की ओर से जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि पंजाब व राजस्थान सरकार के मध्य वर्ष 1981 में इन्दिरा गांधी नहर परियोजना को लेकर संधि हुई, जिसमें राजस्थान को शेष देय 0.6 एमएएफ पानी पंजाब सरकार द्वारा उपलब्ध नहीं करवाया गया।
इससे पहले विधायक श्री रविन्द्र सिंह भाटी के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में उन्होंने बताया कि इन्दिरा गांधी नहर परियोजना के द्वितीय चरण की संशोधित परियोजना रिपोर्ट में बाड़मेर जिले में गडरा रोड़ उप-शाखा की स्वीकृति प्रदान की गई थी। इसे प्रथम: वर्ष 1987 में स्वीकृत इन्दिरा गांधी नहर परियोजना द्वितीय चरण के संशोधित एस्टीमेट में सम्मिलित किया गया था। जिसे वर्ष 1993 में संशोधित किया गया। उन्होंने बताया कि योजना आयोग द्वारा वर्ष 1998 में स्वीकृत इन्दिरा गांधी नहर परियोजना द्वितीय चरण के संशोधित एस्टीमेट (कुल लागत रू 3398.91 करोड़) में गडरा रोड़ उप शाखा प्रणाली के लिये 487.59 करोड़ रुपये का प्रावधान निर्धारित था।
श्री सिंह ने बताया कि गडरा रोड़ उप-शाखा, सागरमल गोपा शाखा की आर.डी. 314 (टेल) (रामगढ़, जैसलमेर) से शुरू होकर 114 किमी लम्बाई में तथा इसकी टेल से 80.77 किमी लम्बाई में गडरा रोड़ वितरिका गडरा रोड़ तक निर्मित की जानी प्रस्तावित थी। जिसमें से 92.05 किमी तक उप-शाखा तथा इससे निकलने वाले वितरण प्रणाली का निर्माण 437.93 किमी में किया गया है।
उन्होंने बताया कि गडरा रोड़ उप-शाखा प्रणाली हेतु वर्ष 1998 में स्वीकृत इ.गा.न.प द्वितीय चरण के संशोधित एस्टीमेट (कुल स्वीकृत राशि 3398.91 करोड़) में गडरा रोड़ उप-शाखा प्रणाली हेतु रू 487.59 करोड़ का प्रावधान निर्धारित था। इस नहर प्रणाली के प्लानिंग व सर्वे का कार्य वर्ष 1987 से ही आरम्भ कर दिया गया था तथा वर्ष 2013 तक नहर निर्माण कार्य किया गया। तब तक उक्त कार्य पर रू 374.26 करोड़ व्यय किये गये। उक्त नहर प्रणाली के सिंचित क्षेत्र में विगत 5 वर्षो में औसत 13 हजार 116 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गई है। उन्होंने बताया कि परियोजना के सिंचित क्षेत्र सीमित हो जाने के कारण उक्त नहर का आगे निर्माण कार्य वर्तमान में प्रस्तावित नहीं है।