TIL Desk लखनऊ:उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हार की समीक्षा रिपोर्ट। पेपर लीक, संविदा की नियुक्तियां और संविधान का मुद्दा | 15 पेज की रिपोर्ट में बीजेपी की हार के 12 कारण। 78 लोकसभा में 40 टीमों ने की समीक्षा। एक लोकसभा में करीब 500 कार्यकर्ताओं से हुई बात।
करीब 40000 कार्यकर्ताओं से बात की गई। बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारी की बैठक में रखी जाएगी रिपोर्ट। रिपोर्ट के मुताबिक सभी क्षेत्रों में बीजेपी के वोटो में गिरावट। वोट शेयर में 8 फ़ीसदी की गिरावट। ब्रज, पश्चिम, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, काशी, गोरखपुर क्षेत्र में 2019 के मुकाबले सीटें कम हुईं।
सपा को पीडीए के वोट मिले। गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव एससी का वोट सपा के पक्ष में बढ़ा।संविधान संशोधन के बयानों ने पिछड़ी जाति को बीजेपी से दूर किया।
हार के कारण —
1- संविधान संशोधन को लेकर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी। विपक्ष का “आरक्षण हटा देंगे” का नैरेटिव बना देना।
2- प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक का मुद्दा।
3- सरकारी विभागों में संविदा कर्मियों की भर्ती और आउटसोर्सिंग का मुद्दा।
4- बीजेपी के कार्यकर्ताओं में सरकारी अधिकारियों को लेकर असंतोष की भावना।
5- सरकारी अधिकारियों का भाजपा कार्यकर्ताओं को सहयोग नहीं। निचले स्तर पर पार्टी का विरोध।
6- बीएलओ द्वारा बड़ी संख्या में मतदाता सूची से नाम हटाए गए।
7- टिकट वितरण में जल्दबाजी की गई जिसके कारण भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं का उत्साह कम हुआ।
8- राज्य सरकार के प्रति भी थाने और तहसीलों को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी।
9- ठाकुर मतदाता भाजपा से दूर चले गए।
10- पिछड़ों में कुर्मी, कुशवाहा, शाक्य का भी झुकाव नहीं रहा।
11- अनुसूचित जातियों में पासी व वाल्मीकि मतदाता का झुकाव सपा- कांग्रेस की ओर चला गया।
12- बसपा के प्रत्याशियों ने मुस्लिम व अन्य के वोट नही काटे बल्कि जहां बीजेपी समर्थक वर्गों के प्रत्याशी उतारे गए वहां वोट काटने में सफल रहे।