TIL Desk #Election/ आख़िर मुस्तैदी रंग लाई, चौथे चरण में बुंदेलखंड क्षेत्र में होने वाला चुनाव बिना डकैतों का फ़रमान जारी हुए निर्विघ्न करा पाने में यूपी पुलिस ने सफलता के झंडे गाड़े | सक्रिय डाकू गिरोह पाठा के बीहड़ो में ही दुबके रहे | न तो डाकुओं का कोई मुख़बिर उनके फ़रमान मतदाताओं तक पहुंचा सका और न ही वोटरों को बंधक बनाये रखने जैसी कोई वारदात हुई | लगभग तीन दशकों बाद ऐसा माहौल देखने को मिला कि बीहड़ के गांवों के मतदाता अपने दिल से वोट डालने जा रहे है | जब कि इलाके के कुछ प्रत्याशियों ने काफी पहले से चुनाव आयोग व जिला प्रशाशन से डकैतों के फ़रमान जारी होने की आशंका व्यक्त कर रखी थी |सक्रिय डाकू दलों ने भी चुनाव के दो-तीन महीने पहले से ही कई आतंकारी घटनाएं कर यह चेताने की कोशिश की थी कि वे कोई भी हरकत कर सकते है |
प्रशासनिक अमले ने खासतौर पर चित्रकूट जिले के पाठा इलाके में चौकशी बरती प्रदेश पुलिस के अलावा अर्ध सैनिक बलों की तैनाती बीहड़ो में हुई | मुख़बिर की निगहबानी की गई | चारो ओर से घिरे ये दस्यु गिरोह बीहड़ो में ही दुबके रहे या फिर मध्य प्रदेश के ठिकानो को अपनी शरण स्थली बना लिया | लगता था मानो पाठा छावनी में तब्दील हो गया हो | डकैतों द्वारा सजातीय प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी फ़रमान जारी करने का सिलसिला सत्तर के दशक में डाकू सरदार गया कुर्मी (गया बाबा) ने शुरू किया था | उसके समर्पण करने के बाद विरासत सँभालने वाले ददुआ व ठुकिया ने तो फरमानों के नाम पर कहर बरपाना ही शुरू कर दिया | इसके ख़ात्मे से लोग सुकून की साँस ले पाते कि डाकू बलखड़िया का आतंक सिर चढ़कर बोलने लगा | ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा चुनावों तक डाकुओ के चुनावी फ़रमान जारी होते थे | इससे कई दलीय प्रत्याशियों के जीत के समीकरण तक गड़बड़ा गए | ददुआ ने तो अपनी पसंद के सजातीय सांसद व विधायक तक जितवाए | पर 2017 के डकैतों की नहीं चली | इन दिनों पाठा में दस्यु बबली कोल, गौरी यादव व गोप्पा सक्रिय है | आशंका भी थी कि वे चुनावी फ़रमान जारी करेंगे | किन्तु प्रशाशन बधाई का पात्र है कि उसने इनकी एक न चलने दी |
सुधीर निगम
रेजिडेंट एडिटर
TV INDIA LIVE (Broadcasting Service)
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