जबलपुर
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) जबलपुर ने पूर्व बिशप पीसी सिंह को 2.45 करोड़ के गबन के मामले में गिरफ्तार किया है। उनके खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में 64 अपराध पंजीबद्ध हैं। ईओडब्ल्यू की टीम ने कर्नाटक से गिरफ्तार किया है।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के मुताबिक, पूर्व बिशप जबलपुर डायोसिस पीसी सिंह और एनडीटीए के चेयरमैन पॉल दुपारे ने बार्स्लेय स्कूल कटनी की जमीन अधिग्रहण मामले में फर्जीवाड़ा किया है। रेलवे ने स्कूल की 0.22 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की है, लेकिन जमीन के बदले मिले 2,45,30,830 रुपए आरोपियों ने हड़प लिए।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW), जबलपुर द्वारा पूर्व विशप पी.सी.सिंह को धोखाधडी एवं कूट रचना कर 2,45,30,830/-रूपये का गबन करने के आरोप में कर्नाटक राज्य से गिरफ्तार किया गया । आरोपी पूर्व विशप पी.सी.सिंह के विरूद्ध देश के विभिन्न राज्यों में 64 अपराध पंजीबद्ध है।
इन धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की जांच में पता चला है कि पीसी सिंह ने चेयरमैन एनडीटीए पॉल दुपारे के साथ षड्यंत्र कर न्यायालय में कूट रचित दस्तावेज प्रस्तुत कर मुआवजा राशि (2,45,30,830 रुपए) एनडीटीए के अधिकृत खातों की बजाय अन्य बैंक खातों में हस्तांतरित करा लिए हैं। उनके खिलाफ इस मामले में धारा 406, 420, 120बी भादंवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है।
यह हैं नियम
ईओडब्ल्यू ने बताया कि एनडीटीए के चेयरमेन पॉल दुपारे ने डायोसिस ऑफ जबलपुर के अधिकार क्षेत्र में आने वाली संपत्तियों की देखरेख के लिए पॉवर ऑफ अटॉर्नी पूर्व बिशप पीसी सिंह को सौंप रखी थी। एनडीटीए चैरिटी कमिश्नर नागपुर के कार्यालय में बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट के तहत पंजीकृत संस्था है। बिना चैरिटी कमिश्नर की अनुमति के ट्रस्ट की प्रॉपर्टी का विक्रय और मुआवजा राशि नहीं प्राप्त की जा सकती।
मुआवजा घोटाले में 2.45 करोड़ रुपए का गबन
कटनी स्थित बार्लेय स्कूल की 0.22 हेक्टेयर जमीन का रेलवे विभाग द्वारा अधिग्रहण किया गया था। इसके एवज में रेलवे ने मुआवजे के रूप में 2 करोड़ 45 लाख 30 हजार 830 रुपए की राशि स्वीकृत की थी। यह राशि स्कूल और उसके संचालन संस्था एनडीटीए के खाते में जानी चाहिए थी, लेकिन पूर्व बिशप पीसी सिंह और संस्था के चेयरमैन पॉल दुपारे ने मिलकर इस रकम को गैर-कानूनी तरीके से हड़प लिया। उन्होंने इस मामले में फर्जी दस्तावेज बनाकर कोर्ट में प्रस्तुत किए और खुद को मुआवजा प्राप्त करने का पात्र सिद्ध करने की कोशिश की।
फर्जी पत्र बनाकर कोर्ट को किया गुमराह
जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि पीसी सिंह और उनके साथी पॉल दुपारे ने न्यायालय में स्कूल के प्रिंसिपल के नाम से एक कूटरचित पत्र प्रस्तुत किया, ताकि मुआवजा राशि को स्वयं प्राप्त किया जा सके। यह पत्र पूरी तरह फर्जी था और इसका कोई वैधानिक अस्तित्व नहीं था। इसके बावजूद उन्होंने इस दस्तावेज के आधार पर करोड़ों रुपए अपने नियंत्रण में ले लिए और संस्था के अधिकारिक खातों को पूरी तरह नजरअंदाज किया।
एनडीटीए को नहीं दी गई कोई जानकारी
जिस संस्था एनडीटीए के अंतर्गत यह स्कूल संचालित होता है, उसे न तो इस मुआवजे की जानकारी दी गई और न ही उससे कोई अनुमति ली गई। संस्था को तब इस धोखाधड़ी का पता चला जब रेलवे से प्राप्त राशि का कोई हिसाब-किताब नहीं मिला। साफ है कि पीसी सिंह और उनके सहयोगी ने पहले से तय योजना के तहत पूरी साजिश को अंजाम दिया और सार्वजनिक संपत्ति की राशि को निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया।
अब और भी गंभीर धाराएं जोड़ी गईं
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने शुरू में IPC की धारा 406 (विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और 120बी (षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज किया था। लेकिन अब जाली दस्तावेजों के उपयोग की पुष्टि होने पर धारा 467, 468 और 471 भी जोड़ दी गई है। इससे मामला और गंभीर हो गया है और न्यायालय में अभियोजन की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही है।
64 मामलों में शामिल है आरोपी बिशप
पूर्व बिशप पीसी सिंह की आपराधिक पृष्ठभूमि किसी शातिर अपराधी से कम नहीं है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में उसके खिलाफ कुल 64 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से कई मामलों में आर्थिक अनियमितताएं, कूट रचना, और धर्म संस्थानों के नाम पर फर्जीवाड़ा शामिल है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी उसके खिलाफ जांच कर रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह लंबे समय से कानून की आंखों में धूल झोंकता आ रहा था।
गिरफ्तारी में जबलपुर-भोपाल की EOW टीम की अहम भूमिका
इस जटिल और अंतरराज्यीय अपराध में आरोपी की गिरफ्तारी EOW के लिए बड़ी चुनौती थी। अंततः जबलपुर इकाई के उप पुलिस अधीक्षक एस.एस. धामी के नेतृत्व में निरीक्षक मोमेन्द्र कुमार मर्सकोले, प्रधान आरक्षक अभिनव ठाकुर, आरक्षक शेख नदीम और सुनील मिश्रा ने कर्नाटक के मंगलोर जाकर आरोपी को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की। इस टीम के समर्पण और सतर्कता ने यह गिरफ्तारी संभव बनाई, जिससे एक बड़े आर्थिक घोटाले पर लगाम लगी है।
अभी भी एक आरोपी फरार
इस घोटाले में बिशप पीसी सिंह तो गिरफ्तार हो गया है, लेकिन उसका एक अन्य साथी अभी भी फरार है। EOW ने उस आरोपी की तलाश भी तेज कर दी है। वहीं, गिरफ्तार आरोपी को जबलपुर लाकर अदालत में पेश किया गया, जहां से आगे की पूछताछ और न्यायिक कार्यवाही की जाएगी। संभावना है कि आने वाले दिनों में और भी चौंकाने वाले खुलासे इस मामले में सामने आएंगे।
कानून के शिकंजे में बड़ा अपराधी
इस गिरफ्तारी से साफ है कि कानून के हाथ लंबे हैं और अपराध कितना भी योजनाबद्ध क्यों न हो, एक दिन न्याय की पकड़ में जरूर आता है। पीसी सिंह जैसे प्रभावशाली और संगठित अपराधों में संलिप्त व्यक्ति की गिरफ्तारी EOW की बड़ी सफलता है। यह उन सभी संस्थाओं और अधिकारियों के लिए एक चेतावनी भी है जो धार्मिक या शैक्षणिक संस्थाओं के नाम पर जनता और सरकार को ठगने का प्रयास करते हैं।
रेलवे मुआवजा घोटाला
कटनी जिले में स्थित बार्लेय स्कूल की 0.22 हेक्टेयर भूमि का रेलवे विभाग द्वारा अधिग्रहण किया गया था, जिसके बदले में 2 करोड़ 45 लाख 30 हजार 830 रुपए का मुआवजा दिया गया। यह राशि एनडीटीए ट्रस्ट के खाते में जानी चाहिए थी, लेकिन पीसी सिंह और उनके सहयोगी पॉल दुपारे ने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से यह राशि अन्य खातों में ट्रांसफर कर दी ।
पचमढ़ी लीज घोटाला
पीसी सिंह पर आरोप है कि उन्होंने पचमढ़ी के मुख्य व्यावसायिक क्षेत्र में स्थित एक लाख वर्गफुट से अधिक की चर्च की जमीन को मात्र 12,500 रुपए मासिक किराए पर 14 वर्षों के लिए सतपुड़ा रिसॉर्ट प्राइवेट लिमिटेड को लीज पर दे दिया। इस प्रक्रिया में एनडीटीए और चैरिटी कमिश्नर नागपुर से कोई अनुमति नहीं ली गई ।
जबलपुर में अवैध संपत्ति खरीद
ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया है कि पीसी सिंह और उनकी पत्नी ने जबलपुर के कटंगी क्षेत्र में मेथोडिस्ट चर्च ऑफ इंडिया की दो प्लॉट्स, प्रत्येक 1500 वर्गफुट, अवैध रूप से खरीदीं। चर्च की जमीनों की खरीद-बिक्री पर रोक होने के बावजूद, उन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए यह सौदा किया।