भोपाल
राज्य आजीविका मिशन में अवैध नियुक्तियों के आरोपों में घिरे मध्य प्रदेश के पूर्व आईएफएस अधिकारी और राज्य आजीविका मिशन के तत्कालीन सीईओ ललित मोहन बेलवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैं, ईओडब्ल्यू ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है, जांच के बाद हुई इस एफआईआर में विकास अवस्थी और श्रीमती सुषमा रानी शुक्ला का भी नाम शामिल है, कोर्ट के निर्देश के बाद हुई एफआईआर के बाद अभी तक की जाँच में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये हैं EOW को अंदेशा है कि अभी भ्रष्टाचार की और परतें खुल सकती हैं।
राज्य आजीविका मिशन में नियम विरुद्ध नियुक्तियों से जुड़े मामले की जांच में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को कई गड़बड़ियाँ मिली हैं, जांच में सामने आया कि बिना अनुमोदित मानव संसाधन मार्गदर्शिका (एचआर गाइड लाइन ) के आधार पर नियमों को दरकिनार कर नियुक्तियाँ की गईं। जो नियुक्तियां की गई उनमें दस्तावेजों में हेराफेरी कर अवैधानिक तरीके से नियुक्तियां की गई साथ ही मानदेय में अवैध रूप से वृद्धि की गई।
EOW ने ललित मोहन बेलवाल, विकास अवस्थी और श्रीमती सुषमा रानी शुक्ला पर की FIR
पूरा मामला श्रीमती सुषमा शुक्ला की नियुक्ति से जुड़ा है और अब तक जो कुछ सामने आया है उस हिसाब से शुक्ला की नियुक्ति कूटरचित एवं मिथ्या प्रमाणपत्रों के आधार पर की गई। दरअसल 17 फरवरी 2025 को दर्ज एफआईआर में शिकायतकर्ता राजेश कुमार मिश्रा द्वारा राज्य आजीविका मिशन, म.प्र. में वर्ष 2015 से 2018 के बीच की गयी नियुक्तियों तथा व्यय में व्यापक अनियमितताओं और भ्रष्ट आचरण के आरोप लगाए गए थे, उसकी अभी तक की विस्तृत जांच के बाद EOW ने ललित मोहन बेलवाल, विकास अवस्थी और श्रीमती सुषमा रानी शुक्ला के विरुद्ध प्रथम दृष्टया अपराध प्रमाणित पाए जाने पर FIR दर्ज की गई है।
इस तरह की फर्जी नियुक्तियां
जांच में कई बातें उजागर हुई इसमें मानव संसाधन मार्गदर्शिका को अनुमोदित दर्शाने के बाद, उसी आधार पर राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर के पदों पर संविदा नियुक्तियाँ की गई। इन नियुक्तियों के लिए योग्यता, अनुभव, चयन पद्धति आदि के जो मापदंड निर्धारित किए गए वे मिशन कार्यालय स्तर पर ही बनाये गये, जबकि ऐसे मापदंडों को शासन से अनुमोदित कराना आवश्यक होता है। कई नियुक्तियाँ ऐसे अभ्यर्थियों को दी गईं जिनकी योग्यता या अनुभव न तो निर्धारित मानकों के अनुरूप थी, न ही वे पद के लिए उपयुक्त थे।
सुषमा रानी शुक्ला के लिए नियमों को ताक पर रख दिया
नियम विरुद्ध नियुक्तियों में विशेष रूप से श्रीमती सुषमा रानी शुक्ला को उस पद पर नियुक्त किया गया जिसके लिए न्यूनतम 15 वर्ष का प्रबंधकीय अनुभव अपेक्षित था, जबकि उन्हें यह अनुभव नहीं था। इसके बावजूद उन्हें नियुक्त करने के मात्र चार माह के भीतर अवैध तरीके से 70,000 रुपये प्रतिमाह का मानदेय स्वीकृत किया गया। जांच टीम ने यह भी पाया कि अन्य कर्मचारियों को जिनके पास अपेक्षित अनुभव था उन्हें यह लाभ नहीं दिया गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि चयन और मानदेय निर्धारण की प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण और चहेतों को लाभ देने के उद्देश्य से की गई।
बेलवाल ने HR Policy को बेईमानीपूर्वक HR Manual के रूप में प्रस्तुत किया
जांच में ये तथ्य सामने आया कि तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित मोहन बेलवाल द्वारा म.प्र. राज्य आजीविका मिशन की मानव संसाधन नीति (HR Policy) को बेईमानीपूर्वक HR Manual के रूप में प्रस्तुत किया गया, जबकि ऐसे किसी ‘HR Manual को राज्य आजीविका फोरम द्वारा अनुमोदन प्राप्त नहीं था। दिनांक 27 मार्च 2015 को राज्य आजीविका फोरम की कार्यकारिणी समिति की बैठक में केवल मानव संसाधन नीति (Human Resource Policy) को मंजूरी दी गई थी, HR Manual का कोई उल्लेख नहीं था। इसके विपरीत बेलवाल द्वारा तैयार की गई नस्ती संख्या 40-01/MP-SRLM/HR/43 में नोटशीट पृष्ठ क्र. 5 में कूटरचित रूप से “HR Manual” शब्द जोड़ा गया।
सुषमा रानी शुक्ला के मानदेय में भी अवैध तरीके से 40% की वृद्धि
कई नियुक्तियाँ न्यूनतम योग्यता और अनुभव के बिना की गईं जैसे कि श्रीमती सुषमा रानी शुक्ला को आवश्यक अनुभव व योग्यता के बिना राज्य परियोजना प्रबंधक (सामुदायिक संस्थागत विकास) पद पर नियुक्त किया गया। संविदा नियुक्त कर्मचारियों को 40% तक मानदेय की अवैध वृद्धि दी गई, जबकि अन्य संवों में जीवन यापन लागत सूचकांक (CPI) के अनुसार ही वृद्धि हुई, स्पष्ट रूप से यह कृत्य सुषमा रानी शुक्ला व अन्य चहेतों को अवैध लाभ देने के लिए किया गया। नियुक्ति एवं वेतन निर्धारण में शासन की स्पष्ट नीतियों की अवहेलना कर निजी हितों की पूर्ति हेतु नियुक्तियाँ की गई।
EOW ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में FIR दर्ज की
अभी तक की प्रारंभिक जांच के दौरान एकत्र साक्ष्यों और दस्तावेजों को परीक्षण से यह सिद्ध हुआ है कि ललित मोहन बेलवाल, विकास अवस्थी और श्रीमती सुषमा रानी शुक्ला ने मिलकर भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित किया, फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग किया और शासन को गुमराह कर व्यक्तिगत लाभ प्राप्त किया। उक्त के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 468, 471, 120-बी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (सी) के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। EOW में राज्य आजीविका मिशन में की गईं अन्य अवैध गतिविधियों की जांच अभी जारी है। भविष्य में और भी कई गड़बड़ियों के खुलासे की संभावना है।