TIL Desk गोरखपुर:👉गोरखपुर शहर में कई ऐसे मंदिर जो आजादी के पहले के बने हुए हैं. लेकिन आज भी उन मंदिरों की प्राचीनता और उनकी शक्ति उसी तरह बरकरार है. लोगों की आस्था ऐसी की उन मंदिरों पर भीड़ हर वक्त बरकरार रहती है. कुछ ऐसा ही शहर में भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की भक्ति का केंद्र एक वाटिका है. जिसे शहर के लोग गीता वाटिका के नाम से जानते हैं. देश विदेशों में बहुचर्चित है यह वाटिका इस वाटिका में जो कोई भी आता है वह यहां राधा कृष्ण की भक्ति में रम जाता है.
गोरखपुर के असुरन पिपराइच रोड पर मौजूद यह गीता वाटिका राधा कृष्ण भक्ति का अलौकिक केंद्र माना जाता है. देश विदेश यहां पर्यटक आते हैं और राधा कृष्ण भक्ति में लीन हो जाते हैं. मंदिर में मौजूद देखरेख करने वाले हनुमान प्रसाद पोद्दार समिति के सदस्य बताते हैं कि इस वाटिका की स्थापना संत भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने की थी. पहले यह जमीन कोलकाता के सेठ ताराचंद घनश्याम दास की थी जिसे ‘गोयदका गार्डन’ के नाम से जाना जाता था. लेकिन 30 मई 1933 को यह जमीन गीता वाटिका के लिए खरीद ली गई थी l
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर यहां पर जन्मोत्सव का कार्यक्रम किया जाता है।