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त्रिनिदाद की प्रधानमंत्री बनीं कमला प्रसाद बिसेसर का बिहार के इस जिले से है खास रिश्ता

पटना

कैरेबियाई द्वीप त्रिनिदाद एंड टोबैगो (टी एंड टी) की पहली महिला महान्यायवादी, पहली महिला कार्यकारी प्रधानमंत्री, पहली महिला नेता प्रतिपक्ष, पहली महिला प्रधानमंत्री पद की प्रत्याशी और पहली महिला प्रधानमंत्री बनने का गौरव जिस शख्सियत को प्राप्त है, वह हैं बिहार के बक्सर जिले के भेलुपुर गांव से ताल्लुक रखने वाली कमला सुशीला प्रसाद बिसेसर। केपीबी के नाम से प्रसिद्ध 73 वर्षीय कमला की पार्टी यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस (यूएनसी) को हाल ही में हुए त्रिनिदाद एंड टोबैगो के आम चुनाव में भारी जीत मिली है और वह दूसरी बार अपने देश की प्रधानमंत्री बनी हैं। ऐसा गौरव हासिल करने वाली भी कमला पहली महिला हैं। वह बचपन से ही पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में अव्वल रहती थीं। स्कूल-कॉलेज में होने वाली वाद-विवाद हो या फिर राजनीतिक जीवन में प्रतिद्वंद्वियों के सवालों का वह पूरी तार्किकता के साथ जवाब देती रही हैं। प्रखर वक्ता, तार्किक अधिवक्ता, आदर्श शिक्षक और करिश्माई राजनेता, जैसी तमाम खूबियों से युक्त भारतीय मूल की कमला प्रसाद के नेतृत्व पर कैरेबियाई द्वीपवासियों ने फिर से विश्वास जताया है, तो यह देश में उनकी स्वीकार्यता को ही दर्शाता है। वह महिला सशक्तीकरण की एक मजबूत मिसाल हैं।

22 अप्रैल, 1952 में पैदा हुईं कमला प्रसाद बिसेसर ने शुरुआती स्कूली शिक्षा अलग-अलग स्कूलों से हासिल की। जब वह 16 वर्ष की हुईं, तो आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चली गईं, जहां उन्होंने लंदन के नोरवुड टेक्निकल कॉलेज से हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी की। वेस्टइंडीज यूनिवर्सिटी से उन्होंने बीए, डीएलएड, एलएलबी और एग्जीक्यूटिव मास्टर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (ईएमबीए) की डिग्री हासिल की है। नोरवुड टेक्निकल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कमला की मुलाकात ग्रेगरी बिसेसर से हुई, जो खुद कैरेबियाई द्वीप के रहने वाले हैं। दो वर्ष तक दोनों एक-दूसरे के संपर्क में रहे और बाद में 1971 में शादी कर ली। शादी के समय कमला 18 और ग्रेगरी 22 वर्ष के थे। दोनों को एक बेटा क्रिस है। उनका एक पोता और एक पोती है। इंग्लैंड में पढ़ाई खत्म करने के बाद कमला और ग्रेग जमैका लौट आए और वहां करीब 14 वर्ष तक रहे। कमला ने जमैका के सेंट एंड्रयू हाईस्कूल में पढ़ाया। इसके बाद उन्होंने वेस्टइंडीज यूनिवर्सिटी के सेंट ऑगस्टाइन कॉलेज और लक्ष्मी गर्ल्स हिंदू कॉलेज में पढ़ाया। करीब छह वर्ष तक लेक्चरार के रूप में पढ़ाने के बाद उन्होंने वकालत शुरू कर दी।

राजनीति में प्रवेश
1987 में कमला ने राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने 1987 से 1991 तक सेंट पैट्रिक काउंटी काउंसिल के लिए एल्डरमैन के रूप में काम किया। वह विपक्ष में यूएनसी की तरफ से एक नवंबर, 1994 को सीनेट की सदस्य बनीं। 1995 से 2001 तक अटॉर्नी जनरल (महान्यायवादी), कानून व शिक्षा मंत्री, जैसे अहम पद विभिन्न समय में संभाले। 2006 में वह पहली महिला नेता प्रतिपक्ष बनीं। 26 मई, 2010 को उन्होंने इतिहास रचते हुए त्रिनिदाद एंड टोबैगो गणराज्य की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। हालांकि, 2015 और 2020 में उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा और 2025 तक वह विपक्ष की नेता रहीं। एक मई, 2025 को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

मां का विशेष योगदान
कमला जब सोलह वर्ष की थीं, तब वह अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड जाना चाहती थीं, लेकिन उनके पिता राज प्रसाद और चाचा, इतनी दूर भेजने के लिए तैयार नहीं थे। बेटी की पढ़ने की इच्छा और प्रतिभा को देखते हुए उनकी मां रीता प्रसाद ने पिता व अन्य परिजन को मनाया और इंग्लैंड पढ़ने के लिए भेजा। वह खुद कई बार कह चुकी हैं कि यदि उनकी मां का योगदान न होता, तो जिस स्थिति में हूं वहां तक कभी न पहुंच पाती। कमला तीन बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनकी एक बहन न्यूयॉर्क में और दूसरी लंदन में रहती है। उनके भाई का कार दुर्घटना में निधन हो गया था। इसके बाद भाई के बच्चों का पालन-पोषण कमला ने ही किया। उनकी बहनें व अन्य परिजन दुनिया में कहीं भी हों, लेकिन चुनाव अभियान में मदद करने के लिए आ जाते हैं।

बॉब मार्ले का संगीत पसंद
जमैका के महान संगीतकार रहे बॉब मार्ले का संगीत कमला और उनके पति ग्रेग को बहुत पसंद है। वह कहती हैं कि बॉब मार्ले का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव है। उन्हें बचपन से ही उपन्यास पढ़ना और तकनीकी जानकारियां एकत्रित करने का विशेष शौक रहा है। वह स्कूल के समय से ही समाज कार्य करती रही हैं। कमला के मायके पक्ष के लोग परंपरात्मक रूप से अपने हिंदू रीति-रिवाजों का आज भी पालन करते हैं। ब्राह्मण परिवार में पैदा हुईं कमला की शादी ईसाई परिवार में हुई है। इसलिए उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया, लेकिन वह और उनके पति हिंदू और ईसाई मान्यताओं व ईश्वर में विश्वास करते हैं। उन्होंने जब प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तब हाथ में श्रीमद्भगवद्गीता लिए हुए थीं। उन्हें भारतीय साड़ी पहनना पसंद है। क्रिस रामप्रसाद ने कमला के जीवन पर ‘थ्रू द पॉलिटिकल ग्लास सीलिंग’ शीर्षक से किताब लिखी है।

 

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