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लुधियाना उपचुनाव अब आप पार्टी के लिए केवल एक चुनाव नहीं, बल्कि एक राजनीतिक प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका

लुधियाना
पंजाब में लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव अब आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए केवल एक चुनाव नहीं, बल्कि एक राजनीतिक प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है। 19 जून को होने वाले इस उपचुनाव में पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है ताकि संजीव अरोड़ा को जिताया जा सके। इसका डायरेक्ट कनेक्शन आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से है, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि अगर संजीव अरोड़ा जीतते हैं तो उन्हें इस सीट से इस्तीफा देना होगा। इसके बाद अरविंद केजरीवाल उनकी जगह राज्यसभा जाएंगे।

विधानसभा में 117 में से 94 सीटें आम आदमी पार्टी के पास हैं। इसके बावजूद यह सीट आप के लिए जरूरी है क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार के बाद पार्टी को संगठन में नई ऊर्जा देने के लिए इस जीत की जरूरत है। ऐसे में लुधियाना वेस्ट उपचुनाव पार्टी के लिए ‘करो या मरो’ की स्थिति बन गया है। संजीव अरोड़ा की जीत सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली से लेकर पंजाब तक का पूरा AAP नेतृत्व लुधियाना में डेरा डाले हुए है। मुख्यमंत्री भगवंत मान, पंजाब प्रमुख अमन अरोड़ा, आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के साथ-साथ खुद अरविंद केजरीवाल भी आक्रामक प्रचार में जुटे हुए हैं।

विपक्ष का हमला और AAP की सफाई
विपक्ष ने आम आदमी पार्टी पर ‘दिल्लीवालों’ के हाथ में पंजाब की बागडोर सौंपने का आरोप लगाया है। कांग्रेस और बीजेपी लगातार इसे मुद्दा बना रही है। इसके जवाब में आप ने तर्क दिया है कि कांग्रेस भी छत्तीसगढ़ के नेता भूपेश बघेल के नेतृत्व में चुनाव प्रबंधन करवा रही है।

‘एक देश एक पति’ बयान भी चर्चा में
AAP सरकार ने इस सप्ताह तीन कैबिनेट बैठकें कीं, जिनमें शहरी मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए फैसले लिए गए। सीएम भगवंत मान का ‘वन नेशन, वन हसबैंड’ वाला बयान भी जानबूझकर हिंदू मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास माना जा रहा है। कांग्रेस के उम्मीदवार भारत भूषण आशु एक मजबूत प्रत्याशी के तौर पर माने जा रहे हैं। उनका प्रचार भी आक्रामक है। लेकिन कांग्रेस के भीतर मतभेद AAP के लिए राहत की बात है। बीजेपी के पास जमीनी कैडर है, लेकिन उम्मीदवार जीवन गुप्ता को न तो अरोड़ा जैसी लोकप्रियता मिली है और न ही आशु जैसी तेजतर्रार उनकी छवि है। अगर AAP को बड़ी जीत मिलती है तो संजीव अरोड़ा का राजनीतिक भविष्य चमक सकता है। उन्हें पंजाब में बड़ा मंत्रालय मिल सकता है। उनकी जगह अरविंद केजरीवाल राज्यसभा जा सकते हैं। वहीं, अगर हार या मामूली अंतर से जीत मिलती है तो पार्टी की साख और शासनकाल दोनों पर असर पड़ सकता है।

 

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