भोपाल
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नगरीय क्षेत्रों में सुरक्षित, सुगम एवं किफायती परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी 2025 तैयार की गई है। इसका उद्देश्य पर्यावरण प्रदूषण एवं ईंधन की निर्भरता को कम कर गैर-ईंधन वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करना है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, वर्ष 2019 में लागू इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी की अवधि समाप्त होने के बाद इस नवीन नीति में दोपहिया, तिपहिया वाहन, कार-बस, हल्के वाणिज्यिक वाहन ट्रक, ट्रैक्टर एवं एम्बुलेंस को शामिल किया गया है। पंच वर्षीय इस नीति में प्रदेश के प्रमुख संभागों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर एवं उज्जैन को मॉडल इलेक्ट्रिक वाहन शहर घोषित किए गए हैं।
इसके अंतर्गत इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिए जाने के उद्देश्य से इलेक्ट्रिक रोड मेप तैयार किया गया है। इस योजना में 80 प्रतिशत शासकीय वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन के रूप में परिवर्तित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। शासन द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन का प्रावधान रखा गया है, जिसमें नियामक रूप में ई-वाहनों के लिए रजिस्ट्रेशन फीस में छूट एवं डीजल-पेट्रोल वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन में कन्वर्ट करने के लिए एक वर्ष के लिए रेट्रोफिटिंग प्रोत्साहन राशि का प्रावधान भी रखा गया है।
ई-वाइनों पर ग्रीन नंबर प्लेट लगवाई जा रहीं
ई-वाइनों की विशेष पहचान के लिए ग्रीन नंबर प्लेट भी लगवाई जा रही हैं। निजी उपयोग वाले ई-वाहनों को हरी नंबर प्लेट पर सफेद अक्षर एवं कॉमर्शियल उपयोग के वाहनों को हरी नंबर प्लेट पर पीले अक्षर निर्धारित किए गए हैं। ईवी मॉडल शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों की पार्किंग के लिए अलग से स्थान सुरक्षित रखे जाएंगे। ई-मोबिलिटी जोन निर्माण के लिए धार्मिक एवं पुरातात्विक महत्व के पर्यटक गांव, प्रौद्योगिकी केन्द्र एवं विशेष आर्थिक एवं व्यावसायिक क्षेत्र सुरक्षित रखे गए हैं।
ई-वाहनों की चार्जिंग के लिए राजमार्ग और प्रमुख सड़कों पर प्रत्येक 20 किलोमीटर के अंतराल पर कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन की स्थापना की जाएगी। भारी वाहनों के लिए 10 किलोमीटर पर राजमार्ग के दोनों ओर एक फास्ट चार्जिंग स्टेशन की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा चिन्हित ईवी पायलट शहरों में हर एक किलोमीटर पर चार्जिंग स्टेशन की सुविधा उपलब्ध रहेगी।