नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे देख कई उम्मीदवारों के चेहरों पर पसीने छूट गए। इस बार नोटा ने राजनीतिक खेल बिगाड़ दिया है। संगम विहार और त्रिलोकपुरी विधानसभा सीट पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बीच जबर्दस्त टक्कर देखने को मिली, लेकिन जीत का ताज महज कुछ ही वोट से बीजेपी के सिर पर सज गया। जबकि इस सीट में हार और जीत के बीच में जितने वोट का अंतर उसमें नोटा पर पड़े वोट की संख्या अधिक है। वहीं, इस चुनाव में कांग्रेस, बीएसपी समेत करीब 557 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है। वहीं, लगभग 448 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्हें नोटा से भी कम वोट मिले हैं।
इन सीटों पर रोमांचक रहा मुकाबला
दिल्ली विधानसभा के 70 सीट में से 48 सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल कर ली है। सबसे रोचक जीत संगम विहार विधानसभा सीट पर देखने को मिली, जहां बीजेपी उम्मीदवार ने 344 वोट से जीत हासिल की। जबकि इस सीट पर नोटा पर 537 वोट पड़े हैं। वहीं, त्रिलोकपुरी सीट पर बीजेपी उम्मीदवार ने 392 वोट से जीत हासिल की, जबकि इस सीट में नोटा पर 683 वोट पड़े हैं। नतीजों के आंकड़े देख हर कोई दंग रह गया है।
वहीं, इस चुनाव में कुल 70 सीटों पर 53000 से ज्यादा नोटा पर वोट पड़े हैं। इसके अलावा करीब 557 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनकी जमानत जब्त हो गई है। सबसे बुरा हाल बीएसपी समेत कई छोटी-छोटी पार्टियों का रहा है। कुछ विधानसभा में तो बीएसपी से ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवार को वोट मिले हैं। वहीं, इस चुनाव में लगभग 448 उम्मीदवार ऐसे हैं। जिन्हें नोटा से कम वोट मिले हैं। इसमें अधिकतम उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने तिहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकें।
कब होती है जमानत जब्त?
जानकारी के मुताबिक, जमानत बचाने के लिए लोकसभा क्षेत्र में कुल हुए मतदान का छठा हिस्सा यानी 16.66 फीसदी वोट लेना होता है। इससे कम वोट मिलने पर प्रत्याशी की जमानत जब्त हो जाती है। पर्चा दाखिला के दौरान जमानत राशि के तौर पर सामान्य वर्ग के लिए 25000 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 12500 रुपये जमा कराए जाते हैं। अगर कोई प्रत्याशी अपनी सीट पर कुल वोटिंग का छठा हिस्सा लाता है तो उसे उसकी जमानत राशि लौटा दी जाती है। वहीं,जमानत जब्त होने पर वह राशि रिफंड नहीं होती है।