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फर्जीवाड़ा रोकने के लिए अब फार्मासिस्ट के लाइसेंस होंगे आधार से लिंक

फर्जीवाड़ा रोकने के लिए अब फार्मासिस्ट के लाइसेंस होंगे आधार से लिंक

यूपी डेस्क/ फार्मा सेक्टर में काम करने वाले कई लोग उत्तर प्रदेश फार्मासिस्ट काउंसिल द्वारा जारी किए गए फर्जी लाइसेंस प्रयोग कर रहे हैं। इनकी भरमार होने के चलते अब एफएसडीए (फूड सेफ्टी ऐंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन) ने सभी फार्मासिस्ट्स को आधार से लिंक करने का आदेश दिया है। सोमवार को ऍफ़ एस डी के अस्सिस्टेंट कमिश्नर ने बताया कि उत्तर प्रदेश में इस समय लगभग 80 ,000 फार्मासिस्ट उत्तर प्रदेश फार्मासिस्ट काउंसिल में पंजीकृत हैं। सभी को एफएसडीए के पोर्टल पर पंजीकरण करना जरूरी है। इसके अलावा जो अन्य दवा बनाने वाली कंपनियां या दवाखाना चला रहे हैं उन्हें भी पोर्टल पर पंजीकरण कराना जरूरी किया गया है।

उन्होंने बताया कि यह फैसला कई फार्मासिस्ट्स के फर्जी लाइसेंस प्रयोग किए जाने की लगातार आ रही शिकायतों के बाद लिया गया है। उन्होंने बताया कि विभाग के पास पिछले कुछ महीनों में कई शिकायतें आईं जिसमें कहा गया कि उत्तर प्रदेश फार्मासिस्ट काउंसलि ने कई फर्जी लाइसेंस जारी किए हैं। सरकार ने इन शिकायतों के बाद जांच कराई और कुछ अधिकारियों को इस मामले में दोषी भी पाया गया। एक डेप्युटी रजिस्ट्रार स्तर के अधिकारी को नवंबर 2017 में सस्पेंड कर दिया गया था।

उन्होंने बताया कि सरकार के पास कई शिकायतें हैं कि फार्मासिट्स उनके लाइसेंस का दुरुपयोग भी कर रहे हैं। उनके सर्टिफिकेट्स की कॉपी उन लोगों ने कई मेडिकल स्टोर्स पर दे रखी हैं और उसके बदले में उन्हें हर साल 5,000 रुपये मिलते हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने एक सॉफ्टवेयर विकसित किया इसमें पंजीकरण के बाद फार्मासिस्ट्स उनके लाइसेंस का दुरुपोयग नहीं कर सकेंगे। अब इस सॉफ्टवेयर को आधार से जोड़ा जा रहा है। फार्मासिट्स के लाइसेंस इन्हीं आधार से लिंक कर दिए जाएंगे।

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