Madhya Pradesh, State

मध्यप्रदेश के छह शहरों में 582 ई-बसों का संचालन जल्द शुरू करने की तैयारी चल रही

भोपाल

 मध्यप्रदेश के छह शहरों में 582 ई-बसों(E-Bus) का संचालन जल्द शुरू करने की तैयारी चल रही है। लेकिन इन बसों का संचालन नगरीय निकायों को महंगा पड़ सकता है क्योंकि इनके संचालन के लिए जीसीसी यानी ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रेक्ट मॉडल अपनाया गया है। इसमें इलेक्ट्रिक बस, ड्राइवर, कंडक्टर और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी संबंधित कंपनी की ही रहेगी। सरकार केवल प्रति किलोमीटर के हिसाब से उसे भुगतान करेगी। प्रतिदिन न्यूनतम 180 किलोमीटर का भुगतान किया जाएगा। इंदौर में अभी एक एजेंसी 65 रुपए प्रति किलोमीटर की दर से ई-बसें संचालित कर रही है।

 भोपाल की सड़कों पर अगले छह महीनों में दो बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। पहला बदलाव जुलाई तक भोपाल मेट्रो की शुरुआत है। दूसरा बदलाव शहर की बसों के बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों का जुड़ना है। पीएम ई-बस योजना के तहत राज्य के 6 शहरों (भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और सागर) में पीपीपी मॉडल पर 552 शहरी ई-बसें चलाई जाएंगी। इसे पिछले फरवरी में मंजूरी मिली थी।

शहरी विकास और आवास विभाग के अतिरिक्त आयुक्त डॉ. परीक्षित जाडे ने हमारे सहयोगी टीओआई को बताया कि हम उम्मीद करते हैं कि पीएम ई-बस योजना के तहत ये इंट्रासिटी बसें 2025 के मध्य या अंत तक शुरू हो जाएंगी। इस बदलाव का उद्देश्य हजारों छात्रों और अन्य सार्वजनिक परिवहन उपयोगकर्ताओं के लिए सार्वजनिक परिवहन के वित्तीय बोझ को कम करना है। महामारी की समाप्ति के बाद से ये लोग सब्सिडी वाले बस पास का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

 यदि नई ई-बसों का कॉन्ट्रेक्ट 60 रुपए प्रति किलोमीटर में होता है तो एक बस को 180 किमी का प्रतिदिन 10800 रुपए का भुगतान होगा, चाहे उसमें सवारियां बैठे या नहीं। इस प्रकार बसों का संचालन करने वाली एजेंसी को 582 बसों का प्रतिदिन 62 लाख 85 हजार 600 रुपए मिलेगा। एक महीने में यह राशि 18 करोड़ 85 लाख 68 हजार रुपए होगी।

टेंडर जारी
पीएम ई-बस योजना के तहत प्रदेश के 6 शहरों इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर में ई-बसें चलाई जाएंगी। इसके लिए कंपनी की तलाश शुरू हो गई है। रेट तय करने के लिए सरकार ने टेंडर जारी किया है। जो कंपनी सबसे कम रेट देगी उसे संचालन का काम मिलेगा। यह सुविधा तीन माह के अंदर शुरू करने की तैयारी की जा रही है। कुल 582 ई-बसें चलेंगी। इनमें से 472 बसें नौ मीटर वाली होंगी जिनमें लगभग 32 सीट होंगी। जबकि 110 बसें सात मीटर वाली होंगी जो 21 सीटर होंगी।

कहां कितनी ई-बसें चलेंगी

    भोपाल – 100
    इंदौर – 150
    जबलपुर – 100
    उज्जैन – 100
    ग्वालियर – 100
    सागर – 32

टिकट एजेंसी का जिम्मा निकाय का
इन बसों के चार्जिंग की व्यवस्था भी मिलजुलकर की जा रही है। चार्जिंग स्टेशन और डिपो राज्य सरकार बनवाएगी। इसकी 60 फीसदी राशि केन्द्र और 40 प्रतिशत राशि राज्य को देना होगी। सरकार सिर्फ जमीन और इंफ्रा विकसित करेगी। चार्जिंग गन बसों का संचालन करने वाली कंपनी ही लगाएगी और बिजली का बिल भी कंपनी ही चुकाएगी। ऐसे 11 चार्जिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं। जबकि टिकटिंग एजेंसी संबंधित निकाय द्वारा तय की जाएगी। टिकट का पैसा निकाय के पास जाएगा, इसी से बसों का भुगतान होगा।

केंद्र 12 साल तक राशि देगी
बसों के संचालन के लिए प्रति किलोमीटर के अनुसार भुगतान होगा। इसके लिए केंद्र सरकार प्रति किलोमीटर के अनुसार 22 रुपए देगी। केंद्र यह राशि 2037 तक यानी 12 साल तक देगी। जो राशि बचेगी वह किराए से कवर होगी। जहां किराए से कवर नहीं हो पाएगी उसका भुगतान संबंधित नगरीय निकाय को करना होगा।

तीन महीने का अग्रिम भुगतान
केंद्र ने इसकी भी पुख्ता व्यवस्था की है कि ई-बसों को नियमित भुगतान होता रहे। इसके लिए बैंक में एक एस्क्रो अकाउंट खुलवाया जाएगा। इसमें राज्य सरकार को कम से कम तीन माह का एडवांस पेमेंट जमा कराना होगा। यदि निकाय भुगतान करने में विफल रहते हैं तो इस अकाउंट में से संचालनकर्ता कंपनी को भुगतान हो जाएगा।

बीसीएलएल को मिलेंगी 100 ई-बसें
सूत्रों के अनुसार एमपी यूएडीडी यात्रियों की यात्रा लागत को सब्सिडी देने के लिए एक स्थिरता मॉडल पर काम कर रहा है। इसके साथ ही बेड़े की व्यवहार्यता को भी बनाए रखा जाएगा। भोपाल नगर निगम की सहायक कंपनी भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड आर्थिक रूप से संघर्ष कर रही है। यह राज्य सरकार के समर्थन और वायबिलिटी गैप फंडिंग पर निर्भर है। बीसीएलएल को इस योजना के तहत 100 ई-बसें मिलेंगी।

एमपी नगर में 5000 से ज्यादा छात्रों का आना जाना
महामारी से पहले भोपाल में 35,000 से अधिक बस यात्री मेयर के बस पास से असीमित यात्रा का लाभ उठाते थे। मिसरोद से एमपी नगर आने-जाने वाले जेईई कोचिंग के छात्र सार्थक और हर्षित ने इस लाभ का अनुभव कभी नहीं किया। एमपी नगर में लगभग 5,000 छात्र 5 किमी के दायरे में कोचिंग क्लासेस आते-जाते हैं। ये छात्र प्रति माह यात्रा पर अनुमानित 35 लाख रुपए खर्च करते हैं। प्रति छात्र औसतन 25 रुपये प्रतिदिन खर्च होता है। महामारी से पहले इस्तेमाल किए जाने वाले मेयर पास के समान एक स्टूडेंट बस पास इन यात्रा लागतों को आधे से भी कम कर सकता है।

स्टूडेंट्स के लिए बड़ी सौगात
हर्षित ने कहा कि अगर स्टूडेंट पास लागू होता है, तो केवल कोचिंग क्लासेस के लिए छात्रों की बचत 50% से अधिक हो जाएगी। जिन छात्राओं की कोचिंग क्लासेस देर शाम को खत्म होती हैं, उन्हें परिवहन पर अधिक खर्च करना पड़ता है। जल्दी आने-जाने के लिए ई-रिक्शा लेने से खर्च तीन गुना बढ़ जाता है। इससे आर्थिक तंगी बढ़ जाती है। भोपाल की मेयर मालती राय से संपर्क करने पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

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