रांची
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने बुधवार को आरोप लगाया कि झामुमो नीत गठबंधन सरकार ‘‘विदेशी धर्म'' के प्रभाव के कारण पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, जिसे आमतौर पर पेसा अधिनियम के रूप में जाना जाता है, को लागू नहीं कर रही है। अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों के अधिकारों को मान्यता देने वाला पेसा अधिनियम 1996 में लागू किया गया था। हालांकि, झारखंड में अभी तक इस कानून को लागू नहीं किया गया है।
‘‘क्या हेमंत सरकार गिरने का खतरा है?"
रघुबर दास ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पेसा कानून 1996 में पूरे देश में लागू हुआ था। बाकी सभी राज्यों ने पेसा के नियम बनाए हैं। झारखंड में हेमंत सोरेन नीत सरकार के साढ़े पांच साल के कार्यकाल के बाद भी यह कानून लागू नहीं हुआ है।'' वरिष्ठ भाजपा नेता ने सवाल किया, ‘‘क्या कानून लागू होने पर हेमंत सरकार गिरने का खतरा है? या किसी विदेशी धर्म के प्रभाव में इसे विलंबित किया जा रहा है, क्योंकि इससे उस धर्म को मानने वालों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है?'' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जुलाई 2023 में पेसा नियमों का मसौदा प्रकाशित किया और पंचायती राज विभाग के माध्यम से जनता और संस्थानों से प्रतिक्रिया मांगी।
दास ने दावा किया, ‘‘महाधिवक्ता ने 22 मार्च, 2024 को मसौदा नियमों को मंजूरी दी थी, जिसमें कहा गया था कि इन्हें उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायिक आदेशों के अनुसार तैयार किया गया है।'' भाजपा नेता ने आग्रह किया कि राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी प्राप्त कर पेसा कानून को जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए। दास की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने भाजपा पर धर्म के नाम पर आदिवासियों को बांटने का आरोप लगाया।