Chhattisgarh, State

कोयला घोटाले में निलंबित IAS रानू साहू, सौम्या चौरसिया, समीर विश्नोई सहित 6 लोगों की रिहाई

रायपुर

छत्तीसगढ़ से एक बड़ी खबर है. कोयला घोटाले में निलंबित आईएएस रानू साहू, सौम्या चौरसिया, समीर विश्नोई सहित 6 लोगों को जेल से रिहा कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें अंतरिम जमानत दी थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 31 मई रविवार को आखिरकार इनकी रिहाई हो गई है. लेकिन इन सभी को छत्तीसगढ़ से बाहर रहने की हिदायद दी गई है.

बता दें कि कोयला घोटाला केस में दिसंबर 2022 को राज्य प्रशासनिक सेवा की पूर्व अधिकारी सौम्या चौरसिया और जुलाई 2023 को पूर्व आईएएस अफसर रानू साहू गिरफ्तार हुई थी. इनके अलावा इस मामले में समीर विश्नोई , रजनीकांत तिवारी, वीरेंद्र जायसवाल और संदीप नायक की भी गिरफ्तारी हुई थी. 29 मई को इनकी जमानत याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की डबल बेंच ने सुनवाई की थी.

इसलिए लगाई है पाबंदी

कोर्ट ने सभी आरोपियों को छत्तीसगढ़ में रहने पर पाबंदी लगा दी है. कोर्ट ने गवाहों को प्रभावित करने की आशंका के चलते छत्तीसगढ़ में रहने पर पाबंदी लगाई है. उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करना होगा और जहां वे रहेंगे वो नया पता भी थाने में देना होगा. कोल, डीएमएफ घोटाले मामले में अधिवक्ता फैजल रिजवी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई, ढाई साल से विवेचना जारी है, इसे लेकर बेल दी गई है. कोर्ट ने सौम्या चौरसिया, IAS रानू साहू, IAS समीर बिश्नोई, सूर्यकांत तिवारी  को छत्तीसगढ़ के बाहर रहने कहा है.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की डबल बेंच ने इस जमानत याचिका पर सुनवाई की थी। जस्टिस सूर्यकांत ने सभी आरोपियों को गवाहों को प्रभावित करने की आशंका के चलते छत्तीसगढ़ में रहने पर पाबंदी लगाई है। सभी छत्तीसगढ़ से बाहर रवाना होंगे। उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करना होगा। साथ ही नया पता थाने में देना होगा।

राज्य से बाहर रहेंगे, नया पता थाने में देना होगा

सूर्यकांत तिवारी, रानू साहू, समीर विश्नोई और सौम्या चौरसिया के मामले में, यह निर्देश है कि वे अगले आदेश तक छत्तीसगढ़ में नहीं रहेंगे, वे आवश्यकतानुसार जांच एजेंसी या ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहेंगे। जांच में शामिल होंगे और पूरा सहयोग करेंगे।

ये भी निर्देश है कि वे अपनी रिहाई के 1 सप्ताह के भीतर राज्य के बाहर अपने रहने के पते पेश करें। उन्हें अपने रहने के स्थान की जानकारी भी अधिकार क्षेत्र के थाने में देना होगा।

570 करोड़ से ज्यादा का है कोल स्कैम

ED का दावा है कि छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाला किया गया है। इस मामले में 36 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। ईडी का आरोप है कि कोयले के परिचालन, ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने समेत कई तरीकों से करीब 570 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध वसूली की गई है।

छत्तीसगढ़ में अवैध कोल लेवी वसूली का मामला ईडी की रेड में सामने आया था। दावा है कि, कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर दिया गया था। खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को इसके लिए आदेश जारी किया था।

सूर्यकांत तिवारी है मास्टरमाइंड

इसके लिए सिंडिकेट बनाकर वसूली की जाती थी। पूरे मामले का मास्टरमाइंड किंगपिन कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया। जो व्यापारी 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से अवैध रकम सूर्यकांत के कर्मचारियों के पास जमा करता था।

उसे ही खनिज विभाग पीट पास और परिवहन पास जारी करता था। इस तरह से स्कैम कर कुल 570 करोड़ रुपए की वसूली की गई। ईडी की रेड में पहले आईएएस समीर बिश्नोई फिर कोल कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को गिरफ्तार किया गया था।

कोल घोटाले के आरोपी

निलंबित IAS रानू साहू और समीर बिश्नोई, पूर्व मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, संदीप नायक लक्ष्मीकांत, शिव शंकर नाग, मोइनुद्दीन कुरैशी, रोशन सिंह, निखिल चंद्राकर, परेश कुर्रे, राहुल कुमार, वीरेंद्र जायसवाल, हेमंत जायसवाल और चंद्र प्रकाश जायसवाल जेल में बंद थे।

2 पूर्व मंत्रियों, विधायकों समेत 36 पर FIR

छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाले मामले में ED की रिपोर्ट पर ACB /EOW ने दो पूर्व मंत्रियों, विधायकों सहित 36 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की है। जिस पर अब ACB की टीम जांच तेज कर दी है।

छत्तीसगढ़ में हुए कोयला घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है। ED ने घोटाले से जुड़े लोगों की संपत्ति कुर्क की है। इनमें बैंक बैलेंस, वाहन, नगदी, जेवरात और जमीन सहित 100 से अधिक चल और अचल संपत्तियां हैं। इसकी कुल कीमत 49.73 करोड़ रुपए है।

ये संपत्तियां कोयला घोटाले के कथित मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी के साथ बाकी आरोपियों की भी है। ईडी की जांच में पता चला है कि कुछ लोगों ने पिछली सरकार में रहे नेताओं और वरिष्ठ राज्य अधिकारियों से मिलीभगत कर कोयला ट्रांसपोर्टर्स से जबरन वसूली की।

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