चंडीगढ़/बठिंडा
सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त जानकारी में खुलासा हुआ है कि पंजाब सरकार ने पिछले आठ वर्षों में अपनी उपलब्धियों को प्रचारित करने के लिए 1,534 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। सरकार ने अपनी उपलब्धियों के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर ये विज्ञापन दिए। इस भारी भरकम खर्च का खुलासा बठिंडा के आरटीआई कार्यकर्ता संजय गोयल द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में हुआ। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस राशि में से 1,093 करोड़ रुपये सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापनों पर खर्च किए गए। वहीं प्रिंट मीडिया में प्रचार-प्रसार पर जबकि 441.22 रुपये करोड़ खर्च हुए। विशेष बात यह है कि 441.22 करोड़ में से 317.17 करोड़ रुपये की राशि पिछले तीन वर्षों में खर्च की गई, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल में खर्च का अंतर
संजय गोयल ने बताया कि सूचना और जनसंपर्क विभाग द्वारा 13 मई 2025 को प्रदान किए गए उत्तर के अनुसार, 2017 से मार्च 2025 तक के बीच इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 1,093 करोड़ खर्च रुपये किए गए। हालांकि, वर्षवार आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए गए। वहीं, प्रिंट मीडिया पर खर्च की गई राशि में यह स्पष्ट किया गया है कि वर्ष 2017 से 2022 के बीच कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 124.05 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसके विपरीत, आम आदमी पार्टी सरकार के 2022 से मार्च 2025 तक के केवल तीन वर्षों में 317.17 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जो कि कांग्रेस कार्यकाल से ढाई गुना से भी अधिक है।
RTI के जवाब में प्रिंट मीडिया में दिए गए विज्ञापन खर्च का विवरण
2017-18: 5.77 करोड़ रुपये
2018-19: 14.24 करोड़ रुपये
2019-20: 25.31 करोड़ रुपये
2020-21: 26.70 करोड़ रुपये
2021-22: 52.03 करोड़ रुपये
2022-23: 92.76 करोड़ रुपये
2023-24: 129.97 करोड़ रुपये
2024-25 (23 मार्च तक): 94.44 करोड़ रुपये
सवालों के घेरे में मान सरकार
इस आंकड़े से स्पष्ट है कि 2023-24 में सबसे अधिक 129.97 रुपये करोड़ खर्च किए गए, जो कि अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। संजय गोयल ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर निवेश की आवश्यकता है, तो इतनी भारी मात्रा में सार्वजनिक धन केवल प्रचार के लिए खर्च किया जाना गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सरकारों को अपने कार्यों से जनता का विश्वास जीतना चाहिए, न कि विज्ञापनों के माध्यम से। उन्होंने यह भी कहा कि यह जानकारी सार्वजनिक हित में साझा की जानी चाहिए ताकि नागरिकों को पता चल सके कि उनके टैक्स का पैसा किस प्रकार खर्च किया जा रहा है।