State, Uttar Pradesh, हिंदी न्यूज़

ओशो की समाधि पर जाने के लिए 970 रुपये वसूला जा रहा है-स्वामी चैतन्य कीर्ति

ओशो की समाधि पर जाने के लिए 970 रुपये वसूला जा रहा है-स्वामी चैतन्य कीर्ति

TIL Desk Lucknow/ पुणे के कोरेगांव पार्क में ओशो का आश्रम एक विश्वस्तरीय ध्यान केंद्र है | हमेशा श्री रजनीश आश्रम के नाम से प्रसिद्ध रहा यह आश्रम गत बीस वर्षों से ओशो इंटरनेशनल मैडिटेशन रिसोर्ट के नाम से जाना जाता है जहाँ लगभग 100 देशों के लोग हज़ारों की संख्या में आते रहे हैं।

इस केंद्र का सञ्चालन ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन (OIF) नाम से भारतीय ट्रस्टी करते रहे हैं जो की सिर्फ दिखावे मात्र के लिए है | इसी नाम का एक दूसरा ट्रस्ट करीब 25 वर्ष पहले जूरिख में रजिस्टर्ड किया गया, जूरिख में इस ट्रस्ट के 5 सदस्य हैं जिन्होंने मिलकर इस ट्रस्ट को ओशो का मुख्यालय घोषित करके ओशो की समूची बौद्धिक सम्पदा पर एकाधिकार कर लिया और भारत में स्थित ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन को भी अपने अधीन कर लिया है | जूरिख वालों ने ओशो का एक फ़र्ज़ी वसीयतनामा भी बनवा लिया, जिसकी फॉरेंसिक क्राइम ब्रांच में जांच हुई और पता चल गया था कि ओशो के हस्ताक्षर नकली हैं।

गत २५ वर्षों से ओशो की 650 पुस्तकों की 60 -70 भाषाओँ में अनुवादित पुस्तकों की बिक्री का धन विदेश में इन ट्रस्टियों की निजी कंपनियों में रख लिया जाता है और भारत में ओशो का आश्रम इससे वंचित रह जाता है। इसलिए प्रचारित किया गया कि चूँकि अब बहुत लोग आश्रम नहीं आते, आश्रम घाटे में चल पा रहा है, अतः इसके एक हिस्से को बेचना ज़रूरी हो गया है। बजाज ग्रुप के मालिक राजीव नयन बजाज से सौदा कर लिया गया 107 करोड़ रुपये का. जिसमें से 50 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि भी ले ली गयी।

भारत में रहने वाले ओशो शिष्यों को इस बात से बहुत चोट लगी है कि उनके गुरु के आश्रम के एक हिस्से को बेचा जा रहा है। भारत में कहीं भी ऐसा नहीं होता कि जहाँ गुरु की समाधि के दर्शन करने के लिए अथवा वहां मौन ध्यान में आधा घंटा बैठने के लिए इतना शुल्क देना पड़े. लेकिन ओशो की समाधि पर जाने के लिए प्रतिदिन का शुल्क 970 रुपया वसूला जा रहा है।

हम जन साधारण और मीडिया से निवेदन करते हैं कि वे भारत सरकार को इस पर ध्यान देने के लिए हमारा सहयोग करें।ओशो के आश्रम को राष्ट्रीय धरोहर बनाएं, उसका संरक्षण करें और ओशो की समूची बौद्धिक सम्पदा को भारत में लाएं। पहले की भांति विश्वभर से ध्यानी पर्यटक पुणे में आएं और ओशो के आश्रम में जीवंतता लौटे। आज के तनावग्रस्त विश्व में शान्ति और ध्यान बढ़ाने में भारत की भूमिका बहुत सकारात्मक हो सकती है – यही ओशो का स्वप्न था |

इसी सन्दर्भ में शुक्रवार 24 फरवरी को लखनऊ में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया जिसमे ओशो प्रेमी संलग्न हुए। ध्यान और उत्सव के द्वारा ओशो की देशना को आत्मसात किया।

स्वामी चैतन्य कीर्ति
संपादक : ओशो वर्ल्ड पत्रिका
नई दिल्ली

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *