Punjab & Haryana, State

2020 शिक्षा नीति के अनुसार तय किए गए है मापदड़, बच्चों के गले में लटकी मिली पानी की बोतल तो स्कूल होंगे जिम्मेदार

अंबाला
सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए स्कूल बैग नीति 2020 लागू कर दी गई है। इस नीति के हिसाब से अब कोई स्कूल अपनी मनमानी नहीं कर सकेगा। ऐसे नियम बनाए गए है कि अगर किसी तरह से स्कूल संचालकों ने नियमों की अवहेलना की तो सीधे तौर पर स्कूल ही जिम्मेदार होंगे। अगर विद्यार्थियों के गले पानी की बोतल लटकी मिली या स्कूल बैग का वजन पांच किलोग्राम से अधिक मिला तो सीधे तौर पर स्कूल जिम्मेदार होंगे। यह नियम सभी स्कूलों के लिए एक सम्मान होंगे।

तय हुआ स्कूल बैग का वजन
शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर के सभी डीईओ व डीईईओ को पांच अप्रैल को पत्र जारी कर नियमों का पालन करने के आदेश दिए हैं। इसमें पांच कैटेगरी में पहली कक्षा से लेकर 10वीं कक्षा तक के स्कूल बैग का वजन तय किया गया है, जिसमें पहली व दूसरी कक्षा के लिए डेढ़ किलोग्राम व 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए पांच किलोग्राम वजन तय किया गया है। इतना ही नहीं यूनिफार्म को लेकर भी बात कहीं गई है, जिसमें अगर किसी स्कूल ने वर्दी को लेकर किसी एक दुकान विशेष से खरीदने को लेकर दबाव बनाया तो वह भी नियमों की अवहेलना माना जाएगा। अगर कोई भी स्कूल ऐसा करता पाया गया तो कार्रवाई होना तय है। इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी को विशेष तौर पर नजर रखने के आदेश दिए हैं।

इस तरह रहेगा कक्षा के हिसाब से स्कूल बैग का वजन
    – कक्षा पहली से दूसरी: स्कूल बैग का वजन 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।
    – कक्षा तीसरी से पांचवीं: स्कूल बैग का वजन 2 से 3 किलोग्राम तक होना चाहिए।
    – कक्षा छठी से सातवीं: स्कूल बैग का वजन 4 किलोग्राम तक होना चाहिए।
    – आठवीं से नौवीं: स्कूल बैग का वजन 4.5 किलो तक होना चाहिए।
    – कक्षा 10वीं: स्कूल बैग का वजन 5 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए।

नोट: शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार डाटा।

विद्यार्थियों को होती है कई तरह की परेशानियां
अक्सर देखा जाता है कि विद्यार्थियों के स्कूल बैग में जरूरत से ज्यादा वजन होता है और साथ ही खासकर गर्मियों के समय ठंडे पानी की बोतल गले में लटकी मिलती है। ऐसे में अभिभावक व बच्चे दोनों को काफी परेशानियां होती थी। इसका मुख्य कारण है कि स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव या फिर प्राइवेट किताबें बैगों के अंदर मिल रही थी। जिस कारण बैग का वजन भी काफी अधिक होता था।

इस कारण विद्यार्थी कई तरह की बीमारियों से भी शिकार होते है और यहां तक आंखों की कम होती रोशनी या फिर सिर-दर्द की शिकायतें सबसे ज्यादा आती है। अब पांच वर्ष बाद 2020 स्कूल बैग नीति को लागू किया गया है और इस एक्ट को सख्ती से पालना करने के लिए शिक्षा विभाग प्रदेशभर में आदेश जारी किए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *